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सुपखंपो-3, अज्यापणं-८ नंदीसरवरदीवे महिमा तया णं कुंभए राया बहूहिं भवणवइ-जाव वेमाणिएहिं देवेहि तित्थयरजमणाभिसेयमहियाए कयाए समाणीए पच्चूसकालप्समयंति नगर-गुत्तिए सद्दाचेइ] जायकम्म जाव नामकरणं-जम्हा णं अहं इमीसे दारियाए माऊए मालसयणिग्रंसि डोहले विणीए तं होउणं अम्ह दारिया नामेणं मल्ली तएणंसा मल्ली पंचधाईपरिक्खित्ता जाव सुंहसुहेणं परिवडूढई १७२7-66 (८३) सा वड्ढई भगवई दियलोयचुया अगोवमसिरीया दासी दास परिवुडा परिकिग्णा पीढमद्देहिं
||७||-1 (८४) असियसिरया सुनयणा बिंवोट्टीधवलदंतपंतीया वाकमल कोमलंगी फुल्लुप्पल गंध नीसासा
१८||-2 (८५) तए सा मल्ली विदेहरायवरकन्ना उम्मुक्कबालभावा [विण्णय-परिणयमेत्ता जोच्चजगमणुपता रूवेण य जोवणेण य लावणेण य अईव-अईव उक्किड़ा उकिकट्ठसरीरा जाया यावि होस्था तए णं सा मी देसूणवासयजाया ते छप्पि य रायाणो विउलेणं ओहिया आभोए.. माणी-आभोएमाणी विहरइ तं जहा-पडिवुद्धिं [इक्खागरावं चंदगच्छायं अंगरायं संखं कासिरायं रूप्पि कुणालाहिबई अदीणसतुं कुरुरायं] जिवसत्तुं पंचालाहिवइ तए णं सा मली कोडुबियपुरिसे सद्दावेइ सावेत्ता एवं वयासी-तुटभे णं देवाणुप्पिया असोगवणियाए एगे महं मोहणघरं करेहअणेगखंभसयसण्णिविटुं तस्स णं मोहणधरस्स बहुमज्झदेसभाए जालघरचं करेह तस्स णं जालघरयास बहुमज्झदेसभाए मणिपेढियं करेह [एयपाणत्तिवं पञ्चप्पिणह तेवि तहेव] पञ्चपिणंति तए णं सा मल्ली मणिपेढियाए उवरि अप्पणो सरिसियं सरित्तयं सरिब्वयं सरिस- लावण्ण- स्वजोव्वण-गुणोवयं कणगापइं मत्स्यवच्छि९ पमुप्पल-पिहाणं पइिम को करेत्ता जं विउलं असण-पाण-खाइम-साइमं आहारेइ तओ मणुण्णाओ असण- पाण- खाइम-साइमाओ कल्लाकलि एगमेगं पिंडं गहाय तीसे कणगामईए पत्थयछिड्डाए [पउमुप्पल-पिहाणाए पडिपाए मत्ययसि पक्खिमाणा-पक्सिवमाणी विहरइ तए णं तीसे कणगामईए मस्ययष्ठिड्डाए पिउमुष्पल-पिहाणाए पडिमाए एगमेगसि पिंडे पक्खिष्पमाणे पक्खिप्पमाणे तओ गंधे पाउभवेइ से जहाणनामएअहिपडे इ वा [गोमडे इ वा सुणहमडे इ वा मज्जारमडे इ वा मणुस्समडे इ वा महिसमडे इ वा मूसगमडे इ वा आसमई इ वा हस्थिमडे इ वा सीहमडे इ वा बग्धमडे इ वा विगमडे इ वा दीविगमड़े इ वा मय-कुहिच-विणट्ठ-दुरभिवा-वण्ण-दुन्भिगंधे किमिजालाउलसंसते असुइ-विलीण-विगयवीभत्सदरिसणिज्ने भवेवारूवे सिया नो इणटे समटे एत्तो अणितराए चेव अकंततारए चेव अप्पियतराए चेव अमणुण्णतराए चेव] अमणामतराए चेव ।७३-67
(८६) तेणं कालेणं तेणं समएणं कोसला नामंजणवए तत्य णं सागेए नाम नयरे तस्स णं उत्तरपुरस्थिमे दिसीभाए एत्थ णं महेगे नागघरए होत्था- दिव्वे सच्चे सघोवाए सणिहिय-पाडिहरे तत्य णं सागेए नयरे पडिबुद्धी नाम इक्खागरया परिवसइ-पउमावई देवी सुयुद्धी अमच्चे साम-दंड-भय-उपप्पयाण-नीति-सुपरत्त-नय-विहण्णू विहाई तए णं पउपावईए देवीए अण्णया कयाइ नागजपणए चावि होत्था तए णं सा पउमावई देवी नागजण्णमुवडियं जाणित्ता जेणेव पडिबुद्धि [राया तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता करलपरिग्गहियं दसनहं सिरसावत्तं पत्थए अंजलि कटु जएणं विजएणं वद्धावेइ वद्धावेत्ता] एवं वयासी-एवं खलु सामी मम कल्लं नागजण्णए भवि स्सइ तं इच्छामिणं सामी तुटभेहिं अटमपुण्या सामी नागजपणयं गमित्तए तुझे विणं सामी पर
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