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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १४२ नापापम्मकहाओ - 1/-१६/१७६ संभाग- [पागर-गोउराहलय-चरिय-तोरण-पल्हस्थियपवरभवण-सिरिधरं सरसास्स धरणियले सणिवइयं] पासित्ता भीए दोवई देविं सरणं उवेइ तए णं सा दोबई देवी पउमनाभं राय एवं वयासीकिण्णं तुमं देवाणुप्पिया न जाणसि कण्हस्स वासुदेवस्स उत्तमपुरिस्स विप्पियं करेमाणे मर्म इहं हव्यपाणेमाणे तं एवमवि गए गच्छ णं तुमं देवाणुप्पिया हाए उल्लपडसाडए ओचूलगवथनियत्थे अंतेउर-परियलासंपरिचूडे अग्गाई दराई रवणाई गहाय ममं पुरओकाउं कण्हं वासुदेवं करयल जाव पाचवडिए सरणं उवेहि पणिवइय-वच्छला णं देवाणुप्पिया उत्तमपुरिसा तए णं से पउमनाभे दोवईए देवीए एवं बुत्ते समाणे ण्हाए जाव सरणं उवेइ उवेत्ता करयल जाव एवं वयासी-दिट्ठा णं देवाणुप्पियाणं इड्ढी जुई जसो बलं वीरियं पुरिसक्कार -परक्कमे तं खामेमि णं देवाणुप्पिया खपंतु णं देवाणुप्पिया [खंतुमरहंति णं देवाणुप्पिया नाइ भुजो एवकरणयाए त्ति कट्ट पंजलिउडे पायबडिए कण्हम्स वासूदेस्स दोवई देवि साहस्थि उवणेइ तएणं से कण्हे वासलुदेवे परमनाभं एवं वघासी-हंभो पउपनाभा अपत्थिय पत्थिया दुरंतपंतलक्खणा हीणपुनचाउद्दसा सिरि-हिरिधिइकित्ति-परिवजिया किण्णं तुमं न जाणासि मम भगिणि दोवई देविं इहं हब्बयाणेसाणे तं एवमवि गए नस्थि ते ममाहितो इवाणिं भयपत्धि त्ति कटुपउमनाभं पडिविसजेइ दोवई देविं गेण्हइ गेण्हित्ता रहं दुरुहेइ दुरुहित्ता जेणेव पंच पंडवा तेणेव उवागच्छइ उवागचित्ता पंचण्हं पंडवाणं दोवई देविं साहत्यि उवणेइ तए णं से कण्हे वासुदेवे पंचहिं पंडवेहिं सद्धिं अप्पछटे छहिं रहेहिं लवणसमुद्दे मज्झमझेणं जेणेव जंबुद्दीवेदीवे जेणेव भारहे वासे तेणेव पहारेत्थ गमणाए ।१३०|-12A (१७७) तेणं कालेणं तेणं सपएणं घायइसंडे दीवे पुरस्थिमद्धे भारहे वासे चंपा नामं नवरी होत्था पुत्रभद्दे चेइए तत्थ णं चंपाए नयरीए कविले नामं वासुदेवे राया होत्था महताहिमयंत महंत-मलय-मंदर-महिंदसारे वण्णओ तेणं कालेणं तेणं समएणं मुणिसुब्बए अरहा चंपाए पुनभद्दे समोसढे कविले वासुदेवे धम्पं सुणेइ तए णं से कविले वासुदेवे मुणिसुव्ययस्स अरहओ अंतिए धम्पं सुणेमाणे कण्हस्स वासुदेवस्स संखसई सुणेइ तए णं तस्स कविलस्स वासुदेवस्स इमेयारूवे अज्झथिए चिंतिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समुप्पजित्था-किमण्णे घायइसंडे दीवे भारहे वासे दोच्चे वासुदेवे समुप्पण्णे जस्स णं अयं संखसद्दे पमं पिव मुहवायपूरए वियंभइ कविला वासुदेवा भद्दाइ मुणिसुब्बए अरहा कविलं वासुदेवं एवं वयासी से नूर्ण कविला वासदेवा मपं अंतिए धम्म निसामेमाणस ते संखसई आकण्णित्ता इसेयारूवे अज्झथिए [चिंतिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समुप्पजिस्था-किमण्णे घायइसंडे दीवे भारहे वासे दोच्चे यासुदेवे समुप्पण्णे जस्स णं अयं संखसद्दे ममंपिव मुहवायपूरिए] वियंभइ से नूणं कविला वासुदेवा अटेसमटे हंता अस्थि तं नो खलु कविला एवं भूयं वा भव्यं वा भविस्सं वाजण्णं एगखेते एगजुगे एगसमएणं दुवे अरहंता वा चक्कवट्टी या बलदेवा वा वासुदेवा वा उप्पजिंसु वा उप्पजंति वा उप्पन्निस्संति वा एवं खलु वासुदेवा जंबुद्दीवाओं दीवाओ भारहाओ वासाओ हथिणाउराओ नयराओ पंडुस्स रण्णो सुण्हा पंचण्हं पंडवाणं भारिया दोवई देवी तव पउमनामस्स रण्णो पुनसंगइएणं देवेणं अवाकंकं नपरि साहरिया तए पं से कण्हे यासुदेवे पंचहि पंडयेहिं सद्धिं अप्पछटे छहिं रहेहिं अवरकंक रायहाणि दोवईए देवीए कूवं हव्यमागए तए णं तस्स कण्हस्स वासुदेवस्स पउमनाभेणं रण्णा सद्धिं संगाम संगामेमाणस्स अयं संखसद्दे तव मुहवापपरिए इव वियंभइ तए णं से कविले वासुदेवे मुणिसुब्बयं अरहं वंदइ नमसइ वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी-गच्छामि णं अहं भंते कण्हं वासुदेवं उत्तमपुरिसं सरिसपुरिसं पासामि For Private And Personal Use Only
SR No.009732
Book TitleAgam 06 Nayadhammakahao Angsutt 06 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages182
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 06, & agam_gyatadharmkatha
File Size4 MB
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