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नायाषम्पकहाओ - १/-/१६/१७३
सम्माणेइ सक्कारेत्ता सम्माणेत्ता पडिविसोइ ।१२६ - 120
( १७३ ) तए णं से पंडू राया तेसिं वासुदेवपामोक्खाणं बहूणं रायसहस्साणं करयल{परिग्गहियं दसनहं सिरसावत्तं मत्यए अंजलिं कट्टु एवं वयासी एवं खलु देवाणुप्पिया हत्थिणाउरे नयरे पंच पंडवाणं दोवईए य देवीए कल्लाणकारे भविस्सइ तं तुब्भे णं देवाणुप्पिया ममं अनुगिरहमाणा अकालपरिहीणं चेव समोसरह तए णं ते वासुदेवपामोक्खा बहवे रायसहस्सा पत्तेयं-पत्तेयं [व्हाया सण्णद्धबद्ध-वम्मिय-कवया हत्थिखंधवरगया जाव जेणेव हत्थिणाउरे नपरे तेणेव ] पहारेत्य गमणाए तए गं से पंडू राया कोडुंबियपुरिसे सद्दावेइ सद्दावेत्ता एवं वयासी- गच्छइ
तु देवाणुपिया हत्याउरे नयरे पंचण्डं पंडवाणं पंच पासायवडिसए कारेहअब्भुग्गयमूसिय जाव पडिवे तए णं ते कोडुंबियपुरिसा पडिसुणेति जाव कारवेति तए णं से पंडू राया पंचहिं पंडवेहिं दोवईए देवीए सद्धिं हयगय [रह-पवर जोहकलियाए चाउरंगिणीए सेणाए सद्धिं संपरिबुडे महया भडचडगर -रह-पहकर - विंदपरिक्खिते कंपिल्लपुराओ पडिनिक्खमइ पडिनिक्खमित्ता जेणेव हत्थिणाउरे तेणेव उवागए तए णं से पंडू राया तेसिं वासुदेवपामोक्खाणं आगमणं जाणिता कोडुंवियपुरिसे सद्दावेइ सद्दावेत्ता एवं व्यासी-गच्छहणं तुदमे देवाणुप्पिया हत्थिणाउरस्स नवरस बहिया वासुदेवपामोक्खाणं बहूणं रायसहस्साणं आवासे अणेगखंभसयसण्णिविद्वे कारहे कारेता एयमाणत्तियं पचष्पिणह तेवि तच पञ्चष्पिणंति तए णं ते वासुदेवपाभोक्खा बहवे रायसहस्सा जेणेव हत्थिणाउरे तेणेव उबागए तए णं से पंडू राया ते वासुदेवपामोक्खे बहवे रायसहस्से उबागए जाणिता तुट्ठे पहाए कयबलिकम्मे जहा दुवए जाब जहारिहं आबासे दलवई
तए णं ते वासुदेवपाभोक्खा बहवे रायसहस्सा जेणेव सया-सया आवासा तेणेव उवागच्छंति तब जाव विहरति तए णं से पंडू राया हस्थिणाउरं नयर अनुपविसइ अनुपविसित्ता कोडुवियपुरिसे सहावे सहावेत्ता एवं वयासी तुम्मे णं देवाणुप्पिया विपुलं असणपाण- खाइमसाइमं आवासेसु उवणेह तेवि तहेच उवणेति तए णं ते वासुदेवपामोक्खा बहवे रायसहस्सा पहावा कयबलिकम्पा कयकोज्य -मंगल-पायाच्छित्ता तं विपुलं असण- पाण- खाइम साइमं आसाएमाणा तहेव जाव विहरंति तए णं से पंडू राया ते पंच पंडवे दोवई व देविं पट्ट्यं दुरुहावेइ दुरुहावेत्ता सेयापीएहिं कलसेहिं ण्हावेइ पहावेत्ता कल्याणकाएं करेइ करेता ते वासुदेवपामोक्खे बहवे रायसहस्से विपुलेणं असण- पाण- खाइम साइमेणं पुप्फ-वत्थ-गंध-मल्लालंकारेणं य सक्कारेइ सम्माणेइ सक्कारेत्ता सम्माणेत्ता पडिविसञ्जएइ तए णं ताई वासुदेवपामोक्खाई बहूई [राचसहस्साइं पंडूएणं रण्णा विसज्जिया समागा जेणेव साई-साइं रजाई जाव नगराई तेणेव ! पडिगयाई । १२७/- 121
(१७४) तए णं ते पंच पंडवा दोवईए देवीए सद्धिं कल्लाकुल्लिं वारंवारेणं उरालाई भोगभोगाई भुंजमाणा विहति तए णं से पंडू राया अण्णया कयाई पंचहिं पंडवेहिं कोंतीए देवीए दोवईए य सद्धिं अंतोअंतेउरपरियालसद्धि संपरिवुडे सीहासणवरगए याबि विहरइ इमं चणं कच्छुल्लनारए दंसणेणं अइमद्दए विणीए अंतो-अतो य कलुस हियए मज्झत्थ-उवत्थिए य अल्लीणसोमपियदंसणे सुरूचे अमइल- सगल-परिहिए कालमियचम्म उत्तरासंग रइयवच्छे दंड- कमंडलुहत्थे जडामउडदित्तसिरए जत्रोवइय- गणेत्तिय-पुंजमेहला-वागलघरे हत्यकय-कच्छभए पियगंधव्वे धरणिगोयरप्पहाणे संवरणावरणि ओवयणुष्पयणि-लेसणीसु य संकाणि-आभिओगि पन्नतिगमणि -भिमणीय बहुसु विज्राहसुरी विजासु विस्सुयजसे इट्ठे रामस्स य केसवस्स य पशुन्न
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