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सुपखंयो-१, अजयपणं-१४ मझमझेणं जेणेव सए गिहे तेणेव पहारेत्य गमणाए तए णं तेयलिपुत्तं जे जहा ईसा जाव सत्यवाहपभियओ पासंति ते तहा नो आढायंति नो परियाणंति नो अब्मटेति नो अंजलिपगहं करेंति इट्ठाइं जाव वागूहि नो आलवंति नो संलवंति नो पुरओ य पिट्ठओ य पासओ य समणुगच्छति
तए णं तेयलिपुते अमछे जेणेव सए गिहे तेणेव उवागए जा वि य से तत्य वाहिरिया परिसा भवइ तं जहा-दासे इवा पेसेइ वा भाइलए इ वा सा वि यणं नो आढाइ नो परियाणाइ नो अशुढेइ जा वि य से अभितरिया परिसा भवइ तं जहा-पिया इव माया इवा [भाया इ वा भगिणी इवा भनाइ वा पुत्ता इ वा धूया इ या] सुप्हा इ वा सा वि यणं नो आढाइ नो परियाणाइनो अझुवेइ तए णं से तेयलिपुत्ते जेणेव वासघरे जेणेव सयणिन्ने तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता सवणिज्जसि निसीयइ निसीइत्ता एवं वयासी-एवं खत्तु अहं सयाओ गिहाओ निगच्छामि तं चैव जाव अभितरिया परिसा नो आढाइ नो परिवाणाइनो अदभुट्टेइ तं सेवं खलु मम अप्पाणं जीवियाओ ववरोवितए ति कट्ट एवं संपेहेइ संपेहेत्ता तालउडं विसं आसगंसि पखिबइ से य विसे नो कमइ तए णं से तेयलिपुत्ते असच्चे नीलुप्पल- [गवलगुलिय- अयप्तिकुसु- मणगासं खुरधारें] असि खंधसि ओहरइ तत्थ वि य से धारा ओएवा तए णं से तेयलिपुते जेणेव असोगवणिचा तेणेव उवागच्छइ उचागच्छित्ता पासगं गीवाए बंधई वंधित्ता सक्खं दुरुहइ दुरिहित्ता पासगं रुक्खे बंधइ बंधित्ता अप्पाणं मुयइ तत्थ वि य से रज्जू छित्रा तए णं से तेयलिपुत्ते महइमहालियं सिलं गीवाए बंधइ वंधित्ता अस्थाहमतारमपोरिसीयंसि उदगंसि अप्पाणं मुयइ तत्थ वि से थाहे जाए तए णं से तेयलिपुते सुक्कंसि तणकूडंसि अगणिकायपक्खिवइ पक्खिवित्ता अप्पाणं मुयइ तत्य वि य से अगणिकाए विज्झाए तए णं से तेयलिप्ते एवं ववासी-सद्धेयं खलु भो समणा वयंति सद्धेयं खलु भो माहणा वयंति सद्धेयं खलु भो समण-माहणा वयंति अहं एगो असद्धेयं वयामि एवं खलु- अहं सह पुत्तेहिं अपुत्ते को मेदं सद्दहिस्सइ सह पितेहिं अमित्ते को मेदं सद्दहिस्सइ [सह अत्थेणं अणत्ये को मेदं सद्दहिस्सइ सह दारेणं अदारे को मेदं सद्दहिस्सइ सह दासेहिं अदासे को मेदं सद्दहिस्सइ सह पेसेहि अपेसे को मेदं सद्दहिस्सइ सह परिजणेणं अपरिजणे को मेदं सद्दहिस्सइ ।
एवं खलु तेबलिपुत्तेणं अपञ्चेणं कणगज्झएणं रण्णा अवज्झाएणं समाणेणं तायपडगे विसे आसमंसि पक्खित्ते से वि य नो कमइ नो मेयं सद्दहिस्सइ तेयलिपुत्तेणं नीलुप्पल- गवलगुलियअयसि-कुसुमप्पगासेखुरधारे असी खंधसिओहरिए तत्य विय से धाराओएल्ला को मेयं सद्दहि-स्सइ तेयलिपुत्तेणं पासगं गीवाए वंधित्तारूस्खंदुवढे पासगं रूखे बंधित्ता अप्पा मुक्के तत्वविय से रज्जू छिन्ना को पेयं सद्दहिस्सइ तेयलिपुतेणं महइमहालियं [सिलं गीदाए बंधित्ता अस्थाहमतारपपोरिसीयंसि] उदगंसि अप्पा मुक्के तत्य वि य णं से थाहे जाए को मेयं सद्दहिसइ तेयलिपुत्तेणं सर्कसि तणकूडंसि [अगणिकायं पक्खिवित्ताअप्पा मुक्के तस्य विय से] अग्गी विज्झाए को मेयं सद्दहिस्सइ-ओहयमणसंकप्पे करतलपल्हत्यमुहे अट्टल्झाणोवगए झियायइ तए णं से पोट्टिले देवे पोट्टिलारूवं विउच्वइ विउविता तेयलिपुत्तस्स अदूरं सामंते ठिच्चा एवं वयासी-हं भो तेयलिपुत्ता पुरओ पवाए पिट्टओ हस्थिमयं दुहओ अचक्खुफासे मन्झे सराणि वरिसंति गापे पलित्तेरण्णे झियाई रणे पलित्ते गामे झियाइ आउसो तेयलिपुता कओ वयामो तए णं से तेवलिपुत्ते पोहितं एवं वयासी-भीयस्स खलु भोपव्यञ्जा उक्कंट्ठियस्स सदेसगमणं छुहियस्स अत्रंतिसियस्स पाणं आउरस्स
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