________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
नायाषपकहाओ - १/-/९/१२५ वीईवयह तए णं सा रयणदीवदेवया जिणरक्खियस्स मणं ओहिणा आभोएइ आभोएत्ता एवं वयासी-निचंपि यणं अई जिणपालियस्स अणिट्टाअकंता अप्पिया अमणुण्णा असणामा निच्चं मम जिणपालिए अणिढे अकंते अप्पिए अमणुष्णेअमणाणे निचंपियणं अहं जिणरक्खियस्स इट्ठा कंता पिया मणुण्णा मणामा निच्चंपि य गं ममं जिणरक्खिए इढे कंते पिए मणुण्णे पणामे जइ णं ममं जिणपालिए रोयमाणि कंदमाणिं सोयमाणिं तिप्पमाणि विलवमाणिं नावयक्खइ किण्णं तमंपि जिणरक्खिया ममं रोयमाणि कंदमाणिं सोयमाणिं तिप्पमाणि विलवमाणि नावयक्खसि
१९१-१184-1 (१२६) सा पवररयणदीवस्स देवया ओहिणा जिणरक्खियस्स नाऊण वधनिमित्तं उवरिं मागंदिय-दारगाण दोण्हंपि
॥२२॥-1 (१२७) दोसकलिया सललिय नाणाविह-चुण्णवास-मीस दिवं
धाण-मण-निच्वइकरसव्योउय-सुरभिकुसुम-बुट्टिपमुंचमाणी॥२३।।-2 (१२८) नाणामणि-कणग-रवण-घंटियाखिखिणि नेउर-मेहल-भूसणरवेणं ।
दिसाओ विदिसाओ पूरयंती वयणमिणं वेइ सा सकलुसा ॥२४॥-3 (१२९) होल वसुल गोल नाह दइत पिय रमण
कंत सामिय निग्धिण निस्थक्क थिण्ण निकिकव अकयण्णुय सिढिलभाव निल्लज्ज लुक्ख अकलुण जिणरक्खिय मझं हिययरक्खगा
॥२५||-4 (१३०) नहु जुञ्जासे एक्कयं अणाहं अबंधवं तुझ चलण-ओवायकारियं उज्झिउमधन्वं
गुणसंकर हं तुमे विहूणा न समत्था जीविउ खणपि ॥२६॥5 (१३१) इमस्स उ अणेगझस-मगर-विविधसावय
सयाउलधरस्स रयणागरस्स मज्झे अप्पाणं वहेमि तुझपुरओ एहि नियत्ताहि
जइ सि कुविओखमाहि एगावराह मे (१३२) तुज्झव विगयधण-विमलसिसमंडलागार-सस्सिरीयं
सारयनवकमल-कुमुद-कुवलय-दलनिकरिस निभनवणं वयणं पिवासागयाए सद्धा मे पेच्छिउं जे
अवलोएहिं ताइ ममं नाह जा ते पेच्छामि वयणकमलं ॥२८॥-7 (१३३) एव सप्पणय-सरल-महुराई पुणो-पुणो कलुणाई
वयणाई जंपपाणी सा पाया मग्गओ समपणेइ पाचहियया ॥२९॥-8 (१३४) तए णं से जिणरखिए चलमणे तेणेव मूसणरवेणं कण्णसुहमणहरेणं तेहि य सप्पणय-सरल-महुर-मणिएहिं संजाय-विउण-राए रयणदीवस्स देवयाए तीसे सुंदरथण- जहणवयण-कर-चरण-नयण-लावण्ण-रूव-जोवण्णसिरिं च दिव्वं सरभस-उवगहियाई बिब्बोयविलसियाणि य विहसिय- सकडक्खदिवि- निस्ससिय- मलिव- उबललिय-थिय- गपण-पणयखिञ्जिय-पासाइयाणि य सरमाणे रागमोहियमती अवसे कम्मवसगए अवयक्खइ सग्गतो सविलियं तए णं जिणरक्खियं समुप्पण्णकलुणभावं मच्चु-गलत्थाल नोलियमई अधयक्वंतं तहेव जक्खे उ सेलए जाणिऊण सणियं-सणियं उब्धिहइ नियगपट्ठाहि विगयसद्धे तए णं सा रयणदीवदेवया
||२७||-6
For Private And Personal Use Only