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तइयं सतं • उदेसो-३ भवइहंता मिंडिअपुत्ता जावं च णं से जीवे नो एयति नो वेयति नो चलति नो फंदइ नो घट्टइ नो खुङमइ नो उदीरइ नो तं तं भावं परिणमइ तावं च णं तस्स जीवस्स अंते अंतकिरिया] मवइ
से केणद्वेणं मंते एवं बुचइ-जावं च णं से जीवे नो एयति नो वेयति नो चलति नो फंदइ नो घट्टइ नो खुबइ नो उदीरइ नो तं तं भावं परिणमइ तावं च णं तस्स जीवस्स अंते अंतकिरिया भवइ मंडिअपुत्ता जावंचणं से जीवे समितं नो एयति [नो वेयति नो चलति नो फंदइ नो घट्टइनो खुबइ नो उदीरइनो तं तंभावं परिणमइ ताचं चणं से जीवे नो आरमइनोसारभइ नो समारभइ नो आरंभे वट्टइ नो सारंभे यइ नो समारंभे वट्टइ अणारभमाणे असारममाणे असमारभमाणे आरंभे अवट्टमाणे सारंभे अवट्टमाणे समारंभे अवट्टमाणे बहूणं पाणाणं मूयाणं जीवाणं सत्ताणं अदुक्खावणयाए [असोयावणयाए अजूसवणयाए अतिप्पारणयाए अपिट्टावणयाए) अपरियावणयाए वट्टइ से जहानामए केइ पुरिसे सुकं तणहत्थयं जायतेयंसि परिखवेजा से नणं मंडिअपुत्ता से सुक्के तणहत्यए जायतेयंसि पक्खित्ते समाणे खिप्पामेव मसमसाविजह से जहानामए केइ पुरिसे तत्तंसि अयकवल्लंसि उदयबिंदु पक्खिवेना से नूणं मंडिअपुत्ता से उदयविंदू तत्तंसि अयकवलंसिं पक्खित्ते समाणे खिप्पामेव विद्धंसमागच्छइ हंता विद्धंसमागच्छइ से जहानामए हरए सिया पुण्णे पुण्णप्पमाणे वोलट्टमाणे योसट्टमाणे समभर घडताए चिट्ठति अहे णं केइ पुरिसे तंसि हरयसि एणं महं नावं सतासवं सतच्छिदं ओगाहेज्जा से नूर्ण मंडि. अपुत्ता सा नावा तेहिं आसवदारेहिं आपूरपाणी-आपूरमाणी पुण्णा पुण्णप्पमाणा वोलट्टमाणा वोसट्टमाणा समभरघडताए चिट्ठति हंता चिट्ठति अहे णं केइ पुरिसे तीसे नावाए सवओ समंता आसवदाराई पिहेइ पिहेत्ता नावा-उस्सिचणएणं उदयं उस्सिचेञ्जा से नूणं मंडिअपुत्ता सा नावा तंसि उदयंसि उस्सित्तंसि समाणंसि खिप्पामेव उदाइ हता उदाइ एवामेव मंडिअपुत्ता अत्तत्ता-संवुडस्स अणगारस्स इरियासमियस्स [भासासमियस्स एसणासमियस्स आयाणभंडमत्तनिकखेवणासमियस्स उच्चारपासवण - खेल - सिंधाण जल्ल - पारिट्ठावणियासमियस्स मणसमियस्स वइपियस्स कायमियस्स मणगुत्तस्स वइगुत्तस्स कायगुत्तस्स गुत्तस्स गुत्तिदियस्स गुत्तबंभयारिस्स आउत्तं गच्छमाणस्स चिट्ठमाणस्स निक्खिवमाणस्स जाव चक्खुपम्हनिवायमवि वेमाया सुहमा इरियावहिया किरिया कजइ-सा पढमसमय बद्धपुट्ठा बित्तियसमयवेइया ततियसमयनिञ्जरिया सा बद्धा पुट्ठा उदीरिया वेइया निजिण्णा सेयकाले अकम्म वावि भवति से तेणद्वेणं मंडिअपुत्ता एवं वुइ-जावं च णं से जीवे सया समित्तं नो एयति [नो वेयति नो चलति नो फदइ नो घटइ नो खुब्बइ नो तं तं भावं परिणमइ तावं च णं तस्स जीवस्स अंते अंतकिरिया] भवइ १५२।-152
(१८२) पमत्तसंजयस्स णं मंते पमत्तसंजमे वट्टमाणस्स सव्वा वि यणं पमत्तद्धा कालओ केवचिरं होइ मंडिअपुत्ता एगं जीव पडुच्च जहन्नेणं एक्कं समयं उक्कोसेणं देसूणा पुवकोडी नाणाजीवे पडुच्च सम्बद्धा अप्पमत्तसंजयस्स णं भंते अप्पमत्तसंजमे वट्टमाणस्स सव्या यि य गं अप्पगत्तद्धा कालओ केयधिरं होइ मंडिअपुत्ता एगं जीवं पडुच्च जहनेणं अंतोमुहत्तं उक्कोसेणं देसूणा पुनकोडी नाणाजीवे पडुन सचद्धं सेवं मंते सेवं मंते त्ति भगवं मंडिअपुत्ते अणगारे समणं भगवं महावीरं वंदइ नमंसइ वंदित्ता नमंसित्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावमाणे विहरति ।१५३।-153
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