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भगवई - २/- /८/१४०
नेयव्वं समा सुम्मा उत्तर पुरच्छिमेणं जिणघरं ततो उववायसमा हरओ अमिसेयं अलंकार जहा विजयस्स 1994 | - 115
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बीए सते अमो उद्देसो सफ्तो -: न व मो उसो :
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(१४१) किमिदं भंते समयखेत्ते त्ति पचति गोयमा अड्ढाइजा दीवा दो य समुद्द एस णं एवइए समयखेत्तेति पचति तत्थ णं अयं जंबुद्दीवे दीवे सव्वदीव-समुद्दाणं सव्वमंतरे एवं जीवाभिगम-वत्तव्यया नेयव्या जाव अम्मिंतर - पुक्खरद्धं जोइसविहूणं 199६--116 बीए सते नवमो उद्देसो समतो -: दस मो
उसो
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(१४२) कति णं भंते अत्थिकाया पत्रत्ता गोयमा पंच अस्थिकाया पन्नत्ता तं जहाधम्मत्थिकाए अधम्मत्यिकाए आगासत्धिकाए जीवत्थिकाए पोग्गलत्यिकार धम्मत्थिकाए णं भंते कतिवण्णे कतिगंधे कतिरसे कतिफासे गोयमा अवण्णे अगंधे अरसे अफासे अरूवी अजीवे सासए अवट्ठिए लोगदव्वे से समासओ पंचविहे पत्रत्ते तं जहा - दव्वओ खेत्तओ कालओ भावओ गुणओ दव्वओ णं धम्मत्थिकाए एगे दव्वे खेत्तओ लोगप्पमाणमेते कालओ न कयाइ न आसि न कयाइ नित्थि न कयाइ न भविस्सइ-भविंसु य भवति य भविस्सइ य धूवे नियए सासए अक्खए अव्यए अवट्ठिए] निचे भावओ अवणे अगंधे अरसे अफासे गुणओ गमणगुणे अधम्पत्थिकाए [णं भंते कतिवण्णे कतिगंधे कतिरसे कतिफासे गोयमा अवण्णे अगंधे अरसे अफासे अरूवी अजीवे सासए अवट्ठिए लोगदव्वे से समासओ पंचविहे पत्रत्ते तं जहा - दव्यओ खेत्तओ कालओ भावओ गुणओ दव्यओ णं अधम्मत्थिकाए एगे दव्वे खेत्तओ लोगयमाणमेत्ते कालओ न कयाइ न आसि न कयाइ नत्थि न कयाइ न भविस्सइ-भविंसु य भवति य भविस्सइ य-धुवे नियए सासए अक्खए अव्बए अवट्टिए निचे भावओ अवण्णे अगंधे अरसे अफासे गुणओ ठाणगुणे ] आगासत्थिकाए [णं भंते कतिवण्णे कतिगंधे कतिरसे कतिफासे गोयमा अवणे अगंधे अरसे अफासे अरूवी अजीवे सासए अवट्ठिए लोगदव्वे से समासओ पंचविहे पत्ते तं जहा दव्वओ खेत्तओ कालओ मावओ गुणओ दव्वओ जं आगासत्थिकाए एगे दव्वे खेत्तओ लोयालोयप्पमाणमेत्ते अनंते कालओ न कयाइ न आसि न कयाइ नत्थि न कयाइ न भविस्सइ-भविंसु य भवति य भविस्सइ य धुवे नियए सासए अक्खए अन्वए अवट्टिए निचे भावओ अवण्णे अगंधे अरसे अफासे गुणओ अवगाहणागुणे ] जीवत्थिकाए णं भंते कतिवण्णे कतिगंधे कतिरसे कतिफासे गोयमा अवणे [अगंधे अरसे अफासे ] अरूवी जीवे सासए अवट्ठिए लोगदव्वे से समासओ पंचविहे पत्रत्ते तं जहा दव्वओ (खेतओ कालओ भावओ] गुणओ दव्वओ णं जीवस्थिकाए अनंताई जीवदव्वाई खेत्तओ लोगप्पमाणमेत्ते कालओ न कयाइ न आसि [न कयाइ नत्थि न कयाइ न भविस्सइ-भविषु य भवति य भविस्सइ य धुवे नियए सासए अक्खए अव्वए अवट्टिए । निछे भावओ अवणे अगंधे अरसे अफासे गुणओ उवओगगुणे पोग्गलत्यिकार णं भंते कतिवण्णे कृतिगंधे कतिरसे कतिफासे गोयमा पंचवण्णे पंचरसे दुगंधे अढफासे रूबी अजीवे सासए अवट्ठिए लोगदव्वे से समासओ पंचविहे पत्ते तं जहा दव्वओ खेतओ कालओ भावओ गुणओ दव्वओ णं
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