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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandin पीजं सतं - उदेसो-५ सयसहसस्सपुहत्तं जीवा णं पुत्तताए हव्यामागच्छंति ।१०४1-104 (१२९) मेहुणण्णं भंते सेवमाणस्स केरिसए असंजमे कजई गोयमा से जहानामए केइ पुरिसे रूयनालियं वा बूरनालियं वा तत्तेणं कणएणं समामिद्धंसेजा एरिसएणं गोयमा मेहुणं सेवमाणस्स असंजमे काइ सेवं भंते सेवं भंते जावं विहाइ1१०५1-105 (१३०) तए णं समणे भगवं महावीरे रायगिहाओ नगराओ गुणसिलाओ चेइयाओ पडिनिख्खमइ पडिनिक्खमित्ता बहिया जणवयविहारं विहरइ तेणं कालेणं तेणं समएणं तुंगिवा नाम नवरी होत्था-वण्णओ तीसे णं तुंगियाए नयरीए बहिया उत्तरपुरत्यिमे दिसीभागे पुष्फवतिए नामं चेइए होत्या-वण्णओ तत्य णं तुंगियाए नयरीए बहवे समणोवासया परिवसंति-अड्ढा दित्ता वित्थिण्णविपुलभवण-सयणासण-जामवाहणाइण्णा बहुधण-बहुजायरूद-रयया आयोगपयोगसंपउत्ता विच्छड्डियविपुलभत्तपाणा बहुदासी-दास-गो-महिस-गवेलयप्पभूया बहुजणस्स अपरिभूया अभिगयजीवाजीवा उवलद्धपुण्ण-पावा आसव-संवरनिजरकिरियाहिकरणबंध-पभोक्खकुसला असहेजा देवासुर-नागसुवण्ण जक्खरक्खस्सकिन्नरकिंपरिसगरुलगंधव्यमहोरगादिएहिं देवगणेहिं निग्गंथाओ पारयणाओ अणतिककमणिज्जा निग्गंथे पावयणे निस्संकिया निखंखिया निव्यितिगिच्छा लट्ठा गहियट्ठा पुच्छियट्ठा अभिगयट्ठा विणिच्छियट्टा अलिमिंजपेम्माणुरागरत्ता अयमाउसो निग्गंथे पावयणे अटे अयं परमट्टे सेसे अणद्वे ऊसियफलिहा अवंगुयदुवारा चियत्तंतेउरधरप्पदेसा चाउद्दसट्ठसुद्दिद्वपुण्णमासिणीसु पडिपुण्णं पोसह सप्पं अणुपालेमाणा समणे निग्गंथे फासु-एसणिज्जेणं असण-पाणखाइम-साइमेणं वस्थपडिग्गह-कंबल-पायपुंछणेणं पीढ-फलग-सेना-संथारएणं ओसह-भेसजेणं पडिलाभेमाणा बहूर्हि सीलब्बय-गुणवेरमण-पच्चक्खाण-पोसहोवयासेहिं अहापरिग्गहिएहिं तवोकम्मेहि अप्पाइणं भावमाणा विहरति ।१०६ -106 (१३१) तेणं कालेणं तेणं समएणं पासवचिना थेरा भगवंतो जातिसंपन्ना कलसंपन्ना बलसंपत्रा स्वसंपन्ना विनयसंपन्ना नाणसंपन्ना दंसणसंपन्ना चरित्तसंपन्ना लज्जासंपत्रा लाघवसंपन्ना ओयंसी तेवंसी वच्चंसी जसंसी जियकोहा जियमाणा जियमाया जियलोमा जियनिद्दा जिइंदिया जियपरीसहा जीवियास-मरण-भयविप्पमुक्का तवप्पहाणा गुणप्पहाणा करणप्पहाणा चरणप्पहाणा निग्गहप्पहाणा निच्छयप्पहाणा मद्दयपहाणा अज्जवप्पहाणा लाघवप्पहाणा खंतिप्पहाणा मुत्तिप्पहाणा विजाप्पहाणा मंतप्पहाणा वेयप्पहाणा बंभप्पहामा नयप्पहाणा नियपप्पहाणा सच्चप्पहाणा सोयप्पहाणा चारुपण्णा सोही अणियाणा अप्पुस्सुया अबहिल्लेसा सुसामण्णरया अच्छिद्दपसिणवागरणा] कुत्तियावणभूया बहुस्सुया बहुपरिवारा पंचहिं अणगारसएहिं सद्धिं संपरिवुडा अहाणुपुब् िचरमाणा गामाणुगामं दूइज्जपाणा सुहंसुहेणं-विहरमाणा जेणेव तुंगिया नगरी जेणेव पुष्फवइए चेइए तेणेव उवागच्छंति उवागछित्ता अहापडिरूवं ओग्गहं ओगिण्हित्ताणं संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणा विहरति ।१०७-107 (१३२) तए णं तुंगियाए नयरीए सिंघाडग-तिग-चउक-चच्चर-चउम्मुह-महापहपहेस जाव एगदिसाभिमुहा निजायंति तह णं ते सपणोवासया इमीसे कहाए लट्ठा समाणा हट्टतुटुं [वित्तयाणंदिया नंदिया पीइमणा परमसोमणस्सिया हरिसवसविसप्पमाणहियया अण्णमण्णं] सद्दावेति सद्दावेता एवं वयासी-एवंखलु देवाणुप्पिया पासावञ्चिझा येरा भगवंतो For Private And Personal Use Only
SR No.009731
Book TitleAgam 05 Vivahapannatti Angsutt 05 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages514
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 05, & agam_bhagwati
File Size10 MB
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