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सतं-२५, उद्देसी-६
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-: छ ट्ठो-उ हे सो :
( ८९८ ) पण्णवण वेद रागे कप्प चरित पडिसेवणा नाणे तिथे लिंग सरीरे खेत्ते काल गइ संजम नीकासे ( ८९९ ) जोगुवओग कसाए लेसा परिणाम वंध वेदे य कम्मोदीरण उवसंपजहष्ण सण्णा य आहारे (९००) भव आगरिसे कालंतरे समुग्धाया खेत्तफुसणा य भावे परिमाणे खलु अप्पाबहुयं नियंठाणे
||९७३-३
(१०१) राजगिहे जाव एवं व्यासी-कति पं भंते नियंठा पन्त्रत्ता गोयमा पंच नियंठा पन्नत्ता तं जहा - पुलाए उसे कुसीले नियंठे सिणाए, पुलाए णं भंते कतिविहे पत्रत्ते गोयमा पंचविहे पत्रत्ते तं जहा - नाणपुलाए दंसणपुलाए चरित्तपुलाए लिंगपुलाए अहासुहुमपुलाए नामं पंचमे, वउसे णं भंते कतिविहे पत्ते गोयमा पंचविहे पन्नत्ते तं जहा - आभोगबउसे अणाभोगवउसे संबुडवउसे असंबुडबउसे अहाहुमवउसे नामं पंचमे, कुसीले णं भंते कतिविहे पत्रत्ते गोयमा दुबिहे पत्ते तं जहा पडिसेणाकुली से य कसायुकुसीले य पडिसेवणाकुसीले णं भंते कतिविहे पत्रत्ते गोवमा पंचविहे पत्र तं जहा-नाणपडि सेवणाकुसीले दंसणपडि सेवणाकुलीले चरित्तपडि सेवणाकुसीले लिंग- पडिसेवणाकुसीले अहासुहुमपडिसेवणाकुसीले नामं पंचमे, कसायकुसीले णं भंते कतिविहे पत्रत्ते गोयमा पंचविहे पन्नत्ते तं जहानाणक सायकुसीले दंसणक सायकुसीले चरित्तकसायकुसीले लिंग - कसायकुसीले अहासुहुमकसाचकुसीले नामं पंचमे, नियंठे णं भंते कतिविहे पन्नत्ते गोयमा पंचविहे पत्रते तं जहा- पढमसमयनियंठे अपढमसमयनियंठे चरिमसमयनियंठे अचरिमसमयनियंटे अहासुहुमनियंठे नामं पंचमे, सिणाए णं भंते कतिविहे पत्रत्ते गोयमा पंचविहे पत्रत्ते तं जहाअच्छवी असवले अकम्मंसे संसुद्धाणदंसणधरे अरहा जिणे केवली अपरिस्सावी, पुलाए णं भंते किं सवेदए होजा अवेदए होजा गोयमा सवेदए होजा नो अवेदए होजा जइ सवेदए होजा किं इत्थिवेदए होजा पुरिसवेदए होजा पुरिसनपुंसगवेदए होजा गोयमा नो इस्थिवेदए होजा पुरिसवेदए होजा पुरिसनपुंसगवेदए वा होज्जा बद्धस्से णं भंते किं सवेदए होज्जा अवेदए होज्जा गोयमा सवेदए हो नो अवेद होना जइ सवेदए होजा किं इथिवेदए होजा पुरिसवेदए होजा पुरिसनपुंसगवेदेए होजा गोयम इस्थिवेदए वा होजा पुरिसवेदए वा होना पुरिसनपुंसगवेदए वा होजा एवं पडिसेवणाकुसीले चि, कसायकुसीले भंते किं सवेदए- पुच्छा गोयमा सवेदए वा होजा अवेदए वा होजा जइ अवेदए किं उवसंतवेदए खीणवेदए होज्जा गोयमा उवसंतबेदए वा होज्जा खीणवेदए वा होजा जइ सवेदए होजा किं इत्थवेदए- पुच्छा गोयमा तिसु वि जहा बउसो नियंठे णं भंते किं सवेदए- पुच्छा गोयमा नो सवेदए होजा अवेदए होजा जइ अवेदए होज्जा किं उवसंतवेदए- पुच्छा गोयमा उवसंतवेदए या होजा खीणवेदए वा होजा सिणाए णं भंते किं सवेदए होजा जहा नियंठे तहा सिणाए वि नवरं -नो उवसंतवेदए होजा खीणवेदए होजा ।७५२1-751
(९०२) पुलाए णं भंते किं सरागे होजा वीतरागे होज्जा गोयमा सरागे होजा न वीतरागे होज्जा एवं जाव कसायकुसीले नियंठे णं भंते किं सरागे होजा - पुछा गोयमा नो सरागे हो जा वीतरागे होजा जड़ वीतरागे होजा किं उवसंतकसायवीतरागे होजा खीणकसायवीतरागे होजा गोयमा उवसंतकसायवीतरागे वा होजा खीणकसायवीतरागे वा होज्जा सिणाए एवं चैव नवरं नो
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।।९५॥-1
४४९
||९६॥-2