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समं सतं हेसो-4
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जाय वैमाणिया
से नूणं भंते जं वेदिस्संति तं निरिस्संति जं निज्वरिस्संति तं वेदिस्संति गोयमा नो इणट्टे समट्टे से केणट्टेणं जाव नो तं वेदिस्संति गोयमा कम्मं वेदिस्सति नोकम्पं निखरिस्संति से तेणट्टेणं जाव नो तं निरिस्संति एवं नेरइया वि जाव बेपाणिया से नूणं भंते जे वेदणासमए से निजरासमए जे निरासमए से वेदणासमए नो इणले समठ्ठे से केणणं भंते एवं दुश्चइ-जे वेदणासमए न से निज्जरासमए जे निजरासमए न से वेदणासमए गोयमा जं समयं वेदेति नो तं समयं निजति जं समयं निजति नो तं समयं वेदेति- अण्णम्मि समए वेदेति अण्णम्मि समए निजति अण्जे से येदणासमए अण्णे से निज्जरासमए से तेगट्टेणं जाव न से वेदणासमए न से निजरासमए नेरइया णं मंते जे वेदणासमए से निज्जरासमए जे निजरासमए से वेदणासमे गोयमा नो इणट्टे समट्टे से केणद्वेणं भंते एवं बुइ-नेरइया णं जे वेदणासमए न से निज्ञ्जरासमए जे निञ्जरासमए न से वेदणासमए गोयमा नेरइया णं जं समयं वेदेति नो तं समयं निज्जरेति जं समयं निज्ञ्जरेति नो तं समयं वेदेतिअम्मिसमए वेदेति अण्णमि समए निखरेति अण्पे से वेदणासमए अण्णे से निजरासमए से तेणद्वेणं जाव न से वेदणासमए एवं जाव वेमाणियाणं । २७८1-278
(३५०) नेरइया णं मंते किं सासया असासया गोयमा सिय सासया सिय असासया से केणणं मंते एवं बुद्धइ-नेरइया सिय सासया सिय असासया गोयमा अव्वोच्छित्तिनयट्ठाए सासया वोचितिनयद्वाए असासया से तेणद्वेणं जाव सिय सासया लिय असासया एवं जाय वेमाणिया जाव सिय असासया सेवं भंते सेवं मंते ति । २७९1-279
तत्तमे सते तइओ उद्देसो समत्तो
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उ त्योउ हे सो :
(३५१) रायगिहे नयरे जाब एवं व्यासि कतिविहा णं भंते संसारसमावन्नगा जीवा पन्नत्ता गोयमा छव्विहा संसारसमावनगा जीवा पत्रत्ता तं जहा-पुढविकाइया जाव तसकाइया एवं जहा जीवाभिगमे जाव एगे जीवे एगेणं समएणं एवं किरियं पकरेइ तं जहा सम्मत्तकिरियं वा मिच्छत्तकिरियं वा सेवं मंते सेवं भंते ति । २८०1-280
(३५२ ) जीवा छव्विह पुढवी जीवाण ठिती मट्टिती काये
निल्लेवण अणगारे किरिया सम्मत्तमिच्छत्ता सत्तमे सते उत्यो उसो समतो●
- पंच मोउ हे सो :---
(३५३) रायगिहे जाव एवं वयासी खहयरपंचिदियतिरिक्खजोणियाणं भंते कतिविहे जोणीसंग पत्ते गोयमा तिविहे जोणीसंग पत्रत्ते तं जहा अंडया पोयया संमुच्छिमा एवं जहा जीवाभिगमे जाव नो चैव णं ते विमाणे वीतीवएज्जा एमहालया णं गोयमा ते विमाणा पत्रत्ता सेवं मंते सेवं भंते ति । २८१ -281
(३५४) जोणीसंग्रह-लेसा दिट्ठी नाणे य जोग- उदओगे
उबवाय-ट्ठति - समुग्धाय-चवण जाती -कुल-वीडीओ
• सतमे सते पंचमो उसने समतो
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-: छोउ दे सो ः
(३५५) रायगिहे जाब एवं वयासी-जीवे णं घंते जे पविए नेरइएसु उववजित्तए से णं भंते