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पंच सतं - उद्देतो-१० एसो वि नवरं- चंदिमा माणियच्चा ।२२७227
•पंचमे सते दसमो उद्देसो समत्तो.
| छटुं-सतं
-: पढ पो - उ हे सो:(२७२) वेदण आहार महस्सवे यसपदेस तमुए भविए
साली पढवी कम्पअण्णउत्यि दस छट्ठगम्मि सए ॥३७||-37 (२७३) से नृणं भंते जे महावेदणे से महानिज्जरे जे महानिज़रे से पहावेदणे महावेदणस्स व अप्पवेदणस्स य से सेए जे पसत्यनिजराए हंता गोयमा जे महावेदणे [से महानिजरे जे महानिजरे से महावेदणे महावेदणस्स य अप्पवेदणस्स य से सेए जे पसत्यनिजराए] छट्ठ-सत्तमासुणं भंते पुढवीसु नेरइया महावेदणा हंता महावेदणा ते णं भंते समणेहिंतो निग्गंथेहितो महानिज़रतरा गोयमा नो इणढे समढे से केणं खाइ अटेणं भंते एवं वुच्चइ-जे पहावेदणे [से महानिजरे जे महानिजरे से महावेदणे महावेदणस्स य अप्पवेदणस्स च से सेए जे] पसत्य निजराए गोयमा से जहानामए दुवे वत्था सिया-एगे वत्थे कदमरागरते एगे बस्थे खंजणरागरते एएसिणं गोयमा दोण्हं वत्याणं कयरे वत्ये दुद्धोयतराए चेव दुवामतराए चेव दुपरिकम्मतराए चेव कयरे वा वत्थे सुद्धोयतराए चेव सुवामतराए चेव सुपरिकम्मतराए चेव जे वा से वत्ये कद्दमरागरते जे वा से वत्ये खंजणरागरत्ते भगवं तत्य णं जे से कक्ष्मरागरते से णं वत्थे दुद्धोयतराए चेव दुवामतराए चेव दुप्परिकम्मतराए
चेव एवामेव गोयमा नेरइयाणं पावाई कम्माई गादीकयाई चिक्कणीकयाइं सिलिट्ठीकयाई खिलीभूताई भवंति संपगाढं पि यणं ते वेदणं वेदेमाणा नो महानिजरा नो महापज्जवसाणा भवंति से जहा वा केइ पुरिसे अहिगरणिं आउडेमाणे महया महया सद्देणं पहया महया घोसणं पहया-पहया परंपराधाएणं नो संचाएइ तीसे अहिगरणीए केइ अहाबायरे पोगले परिसाडित्तए एवामेव गोयमा नेरइयाणं पावाई कम्माइं गाढीकयाई [
चिकणीकयाइं सिलिट्ठीकयाई खिलीभूताई मयंति संपगाढं पि य णं ते वेदणं वेदेमाणा नो महानिजरा] नो महापञ्जवसाणा भवंति भगवं तत्य जे से खंजणरागरते से णं वत्ये सुद्धोयतराए चेव सुवामतराए चेव सुपरिकम्मतराए चेव एवामेव गोयमा सपणाणं निग्गंधाणं अहबायराई कम्माइंसि-सिढिलीकयाई निट्टियाई कयाई विप्परिणामियाई खिप्पामेव विद्धत्थाई भवंति जावतियं तावतियं पिणं ते वेदणं वेदेमाणा महानिजरा महापजवसाणा भवंति से जहानामए केइ पुरिसे सुक्कं तणहत्थयं जायतेयंसि पक्खिवेजा से नूणं गोयमा से मुक्के तणहत्यए जायतेयंसि पक्खित्ते समाणे खिप्पामेव मसमसाविज्जति हंता मसमसाविञ्जति एवामेव गोयमा समणाणं निग्गंधाणं अहाबायराइं कम्माई सिढिलीकयाइं निट्ठियाई कयाइं विप्परिणामियाई खिष्यामेव विद्धत्थाई भवंति जावतियं तावतियं पिणं ते वेदणं येदेमाणा महानिजरा] महापजवसाणा भवंति से जहानामए केइ पुरिसे तत्तंसि अयकवलंसि उदगबिंदु पिक्खिवेजा से नूणं गोयमा से उदगबिंदु तत्तंसि अयकवल्लंसि पक्खित्ते समाणे खिप्पामेव विद्धंसमागच्छइ हंता यिद्धंसमागच्छइ एवामेव गोयमा समणाणं निग्गंयाणं अहाबायराइं कम्माइं सिढिलीकयाइं निवियाई कयाई विप्परिणामियाई खिप्पामेव विद्धत्थाई भवंति जावतियं तावतियं पिणं ते वेदणं येदेमाणा महानिजरा] महापञ्जवसाणा भवति से तेणटेणं जे पहावेदणे से पहानिजरे [जे महानिञ्जरे से महावेदणे महावेदणस्स य अप्पवेदणस्स य से सेएजे पसत्या निजराए।२२८१-228
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