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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १३५ ॥९४||-1 अभं ठाणं उसमकूडा देवा पन्नता ।६३९१-639 (७५२) मंदरचूलिया णं बहुमज्झदेसभाए अट्ट जोरणाई विखंभेणं प. १६४०।-640 (७५३) घायइसंडदीवपुरस्थिमद्धे णं घायइखे अट्ठ जोयणाई उड्ढं उच्चत्तेणं बहुमझदेसभाए अट्ट जोयणाई विक्खंभेणं साइरेगाइं अट्ट जोयणाई सब्बग्गेणं पन्नत्ता एवं घायइरुक्खा आढवेत्ता सचेव जंबूदीववत्तव्वता भाणियन्या जाव मंदरचूलियत्ति एवं पञ्चस्थिपद्धेवि महाधातइरुक्खात्तो आढवेत्ता जाव मंदरचूलियत्ति एवं पुक्खरवरदीवड्ढ- पुरस्थिमद्धेवि पउमरुस्खाओ आढवेत्ता जाव मंदरचूलियत्ति एवं पुक्खरवरदीव:- पञ्चत्यिमद्धेवि महापउमरुक्खातो जाय मंदरचूलियत्ति ।६४१/-641 (७५४) जंबुद्दीवे दीये मंदरे पव्वते भद्दसालवणे अट्ठ दिसाहस्थिकूडा पन्नत्ता (तं जहा)- १६४२-१1642-1 (७५५) पउमुत्ता नीलवंते सुहत्थि अंजणागिरी कुमुदे य पलासे य वडेसे रोपणागिरी (७५६) जंवूदीवस्स णं दीवस्स जगती अट्ट जोयणाई उड्ढे उच्चत्तेणं बहुमज्झदेसभाए अट्ट जोयणाई विक्खंभेणं पण्णत्तां ।६४२-642 (७५७) जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणे णं महाहिपर्वते वासहरपब्यते अट्ठ कूडा पण्णत्ता तं जहा ।६४३-91-643-1 (७५८) सिद्ध महाहिमवंते हिमवंते रोहिता हरीकूडे हरिकंता हरिवासे वेरुलिए चेव कूडा उ (७५९) जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरे णं रूप्पिमि वासहरपब्बते अट्ठ कूडा पण्णता तं जहा- १६४३-२। 642-2 (७६०) सिद्धे य रूप्पि रम्मग नरकंता बुद्धि रूप्पकूडे य हिरण्णवते मणिकंचणे य रूपिम्मि कूडा उ (७६१) जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरस्थिमे णं रूयगवरे पव्वते अट्ठ कूडा पण्णत्ता तं जहा- ।६४३-३। -643-3 (७६२) रिटे तवणिज कंचण रयत दिसाओस्थिते पलंबे य अंजणे अंजणपुलए रूयगस्स पुरस्थिमे कूडा ॥९७||-1 (७६३) तत्य णं अट्ठ दिसाकुमारिमहत्तरियाओ महिड्डियाओ जाव पलिओवमद्वितीयाओ परिवसंति तं जहा- १६४३-४। -643-4 (७६४) नंदुत्तरा य नंदा आणंदा नंदिवद्धणा । विजया य वेजयंती जयंती अपराजिया १९८1-1 (७६५) जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पब्बयस्स दाहिणे णं रूयगवरे पन्वते अट्ठ कूडा पण्णत्ता तं जहा - १६४३-41-843-5 (७६६) कणए कंचणे पउपे नलिणे ससि दिवायरे चेव वेसमणे वेरुलिए स्वगस्स उ दाहिणे कूड़ा दाहण कूडा ॥१९॥-1 (७६७) तत्थ णं अट्ठ दिसाकुमारिमहत्तरियाओ महिड्डियाओ जाव पलिओवप १९५||-1 ॥९६||-1 For Private And Personal Use Only
SR No.009729
Book TitleAgam 03 Thanam Angsutt 03 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages170
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 03, & agam_sthanang
File Size3 MB
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