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सुयक्खंयो-१, अजयण-२, उद्देसो-२ (१३०) सीओदग पडिदुगंछिणो अपडिण्णस्स लवावसक्षिणो
__ सामाइयमाहु तस्स जं जो गिहिमत्तेऽसणं न भुंजई ॥१३०||-20 (१३१) न य संखयमाहु जीवियं तह वि य बालजणो पगभई
बाले पाचेहि भिजई इइ संखाय मुणी न मज्जई ॥१३१।।-21 (१३२) छंदेण पलेतिमा पया बहुमाया मोहेण पाउडा
वियडेण पलेंति माहणे सीउण्हं वयसा हियासए ॥१३२||-22 (१३३) कुजए अपराजिए जहा अक्खेहिं कुसलेहिं दीवयं
कडमेव गहाय नो कलिं नो तेयं नो चेव दावरं ॥१३३||-23 (१३४) एवं लोगस्मि ताइणा वुइए जे धम्मे अनुत्तरे
तं गिह हिवं ति उत्तमं कडमिव सेसऽवहाय पंडिए ॥१३४।।-24 (१३५) उत्तर मणुयाणं आहिया गामधम्म इति मे अणुस्सुयं
जंसी विरया समुट्ठिया कासवस्स अणुधम्मचारिणो ॥१३५||-25 (१३६) जे एय चरति आहियं नायएण महया महेसिणा
ते उठ्ठियं ते समुट्ठिया अण्णाण्णं सारेंति धम्मओ ॥१३६।।-26 (१३७) मा पेह पुरा पणामए अभिकंखे उवहिं घुणित्तए
जे दूवण न ते हि नो नया ते जाणंति समाहिमाहियं ॥१३७||-27 ११३८) नो काहिए होन संजए पासणिए न य संपसारए
नमा धम्म अणुत्तरं कयकिरिए य न यावि मामए ॥१३८1-28 (१३९) छण्णं च पसंस नो करे न य उक्कोस पगास माहणे
तेसिं सविवेगपाहिए पणया जेहि सुझोसियं घुयं ॥१३९।1-29 (१४०) अणिहे सहए सुसंवुड़े धम्मी उयहाणयोरिए
विहरेज्ज समाहितिदिए आतहितं दुक्खेण लटमते ॥१४०11-30 (१४१) न हि णूण पुरा अणुस्सुयं अदुवा तं तह नो अणुट्टियं ।
मुणिणा सामाइयाहि नातएण जगसव्वदसिणा ॥१४१11-31 (१४२) एवं मत्ता महंतरं धमपिणं सहिया बहू जणा
गुरुणो छंदाणुवतगा विरया तिण्ण महोघमाहियं -त्ति वेमि।।१४२||-32 • बीए अन्झयणे बीओ उद्देसो समतो .
- तइओ उद्देसो:(१४३) संवुडकम्भस्स भिक्खुणो जं दुक्खं पुढं अबोहिए
तं संजमओऽवचिञई मरणं हेच वयंति पंडिया ॥१४३||-1 (१४४) जे विण्णवणाहिऽजोसिया संतिण्णेहि समं वियाहिया
तम्हा उड्ढे ति पासहा अद्दक्खू कामाई रोगवं ॥१४४||-2 (१४५) अगं वणिएहि आहियं धारेती रायाणया इहं
एवं परमा महव्यया अखाया उ सराइमोयणा ॥१४५।।-3 (१४६) जे इह सायाणुगा नरा अज्झोववण्णा कामेहि मुच्छिया
किवणेण समं पगमिया न वि जाणंति समाहिमाहियं ॥१४६।।-4
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