________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
७९|-4
(८३)
11८३||-8
11८६-11
(८७)
सूपगडो 4/9/1/७९ (७२) कडेसु घासमेसेजा विऊ दत्तेसणं चो
अगिद्धो विप्पमुक्को र ओमाणं परिवज्जए (40) लोगवायं निसामेजा इहमेगेसिमाहियं विवरीयपण्णसंभूयं अण्णवुत्त-तयाणुगं
100|1-5 (८१) अणंते नितिए लोए सासए न विणस्सहं अंतवं नितिए लोए इइ धीरोऽतिपासई
॥८१||-6 अपरिमाणं वियाणाइ इहमेगेसि आहियं सव्वत्थ सपरिमाणं इह धीरोऽतिपासई
||८२||-7 जे केइ तसा पाणा चिठ्ठतदुव थावरा
परियाए अत्यि से अंज जेण ते तसथावरा (८४) उरालं जगतो जोगं विवञ्जासं पलेति य सव्वे अकंतदुक्खा य अओ सब्वे अर्हिसगा
१८४||-9 (८५) एवं खु नाणिणो सारंजंन हिंसइ कंचणं अहिंसा समयं चेव एयावंतं विवाणिया
१८५//-10 (८६) बुसिते दिगयगिद्धी य आयाणं सारक्खए
चरियासणसेज्जासु मत्तपाणे य अंतसो एतेहिं तिहिं ठाणेहिं संजए सययं मुणी उक्कसं जलणं नूम-मज्झत्यं च विगिंचए
11८७||-12 (८८) समिए तु सया साहू पंचसदरसंवुडे
सितेहिं असिते भिक्खू आमोक्खाए परिव्यएमासि-तिवेमि।।८८0-13 • पढमे अज्झयणे घउत्यो उहेसो समत्तो • पढम अम्झयणं सप्पत्तं .
बीअं अज्झयणं - यालिए।
- पटमो रहेसो :संबुझह किण्ण बुझहा संबोही खलु पेच्च दुल्लहा नो हूवणमंति राइओ नो सुलभं पुणरावि जीवियं ॥८९||-1 डहरा बुड्ढा य पासहा गम्भत्ता वि चयंति पाणवा
सेणे जह वयं हरे एवं आउखयंमि तुट्टई १९०1-2 (९१) मायाहि पियाहि लुप्पई नो सुलहा सुगई य पेचओ
एयाइ भयाइ देहिया आरंमा विरमेज सुव्बए ॥९१||-3 जमिणं जगई पुढो जगा कम्महिं लुपंति पाणिणो सयमेव कडेहि गाहई नो तस्स मुच्चे अपुट्ठवं ॥९२||-4 देवा गंधव्वरक्खसा असुरा भूमिचरा सिरीसिवा राया परसेठिमाहणा ठाणा ते वि चवंति दुखिया ||९३||-3 कामेहि य संथेविहि य कम्मसहा कालेण जंतवो ताले जह बंधणचुए एवं आउक्खयम्मि तुट्टई
(१०)
॥९४||-6
For Private And Personal Use Only