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आयारो
( ११६ ) उम्मुंव पासं इह मच्चिएहिं आरंभजीवी उ भयाणुपस्सी कामेसु गिद्धा निचयं करेति संसिच्यमाणा पुणति गम्भ
(११७) अवि से हासमासज्ज हंता नंदीति मन्त्रति अलं बालम्स संगेण वेरं वड्ढेति अप्पणी
111911-4
( ११८ ) तम्हा तिविज्जो परमंति नचा आयंकदंसी न करेति पाव अग्गं च मूलं च विंगिच धीरे पतिच्छिंदिया णं निकम्मदंसी (११९) एस मरणा पमुच्चइ से हु दिट्ठपहे मुणी लोयंसी परमदंसी विवित्तजीवी उवसंते सपिते सहिते सया जए कालकंखी परिच्चए बहुं च खलु पावकम्म पगडं । ११२/- 112
( १२० ) सञ्चंसि धितिं कुव्वह एत्योवरए मेहावी सव्वं पावकम्पं झोसेति 1993 - 112 ( १२१ ) अणेगचिते खलु अयं पुरिसे से केयणं अरिहए पूरइत्तए से अण्णवहाए अण्णपरियावाए अण्णपरिग्गहाए जणवचदहाए जणवयपरियावाए जणवयपरिग्गहाए 199४1-113
(१२२ ) आसेवित्ता एतमट्ठ इच्छेवेगे समुट्ठिया तम्हा तं बिइयं नो सेबए निस्सारं पासिय नाणी उववावं चवणं अणण्णं चर माहणे से न छणे न छणावए छणतं नाणुजाणइ गिविंद नंदि अरते पचासु अणोपदंसी निसन्ने पावेहिं कम्मेहिं 1994/-114
(१२३) कोहाइमाणं हणिया य वीरे लोभस्स पासे निरयं महंतं तन्हा हि वीरे विरते वहाओ छिंदेज सोयं लहुभूयगामी ( १२४) गंथं परिण्णाय इहज्जेव बीरे सोयं परिण्णाय चरेश दंते उम्म लघु इह माणवेहिं नो पाणिणं पाणे समारभेज्जासि
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(१२८) अवरेण पुव्वं न सरंति एगे किमस्सतीतं किं वागमिस्सं भासंति एगे इह माणवा उ जमस्तीतं आगमिस्सं
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॥६॥-3
लइए अज्झयणे बीओ उद्देसो समत्तो - त इ ओ
उद्दे सो :
(१२५) संधि लोगस्स जाणिता आयाओ बहिया पास तम्हा न-हंता न विधायए जमिणं अन्नमण्णवितिगिच्छाए पडिलेहाए न करेइ पावं कम्पं किं तत्य मुणी कारणं सिया ।११६/- 115 ( १२६ ) समयं तत्युवेहाए अप्पाणं विष्पासयए
अणण्णपरमं नाणी नो पमाए कयाइ वि आयगत्ते या वीरे जायामायाए जावए
119011-1
(१२७) विरांग रुवेहिं गच्छेजा महया खुट्टएहि वा [ ||१०|| ? ] आगतिं गतिं परिणाय दोहिं वि अंतेहिं अदिस्समाणे से न विज्जइ न भिन्नइ न इज्झइ न हम्मइ कंचणं सव्वलोए 1995/- 116
11८11-1
IRII-2 - त्ति बेमि ॥
113911-1
(१२९) नातीतपट्ठे न य आगमिस्सं अट्ठं नियच्छंति तहागया उ । विधूत कप्पे एयाणुपस्सी निज्झोसइत्ता खबगे महेसी
॥१२॥-2
(१३० ) का अरई के आणंदे एत्यंपि अग्गहे चरे सव्वं हासं परिचज आलीण गुतो