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________________ श्री श्रेयांसनाथ भगवान चैत्यवंदन सर्व भाव श्रेयो वर्या, श्री श्रेयांस जिनंद; आत्मशीतलता धारीने, टाळ्या मोहना फंद. उपशम क्षयोपशम अने, क्षायीक भावे जेह; सत्य श्रेयने पामतो, स्वयं श्रेयांस ज तेह. श्री श्रेयांस प्रभु समो ए निज आतमने करवा; वंदो ध्यावो भविजना, धरो न जडनी परवा. श्री०१ श्री०२ स्तवन श्री श्रेयांस जिन अंतरजामी, आतमरामी नामी रे; अध्यातम मत पूरण पामी, सहज मुगति गति गामी रे.. सयल संसारी इन्द्रियरामी, मुनिगण आतमरामी रे; मुख्यपणे जे आतमरामी, ते केवळ निःकामी रे.. निज स्वरूप जे किरिया साधे, तेह अध्यातम लहिये रे; जे किरिया करी चउगति साधे, ते न अध्यातम कहिये रे. नाम अध्यातम ठवण अध्यातम, द्रव्य अध्यातम छंडो रे; भाव अध्यातम निज गुण साधे, तो तेहशुं रढ मंडो रे. शब्द अध्यातम अर्थ सुणीने, निर्विकल्प आदरजो रे; शब्द अध्यातम भजना जाणी, हान ग्रहण मति धरजो रे. अध्यातम जे वस्तु विचारी, बीजा जाण लबासी रे; वस्तुगते जे वस्तु प्रकाशे, 'आनंदघन' मतवासी रे. श्री०३ श्री०४ श्री०५ श्री०६ स्तुति विष्णु जस मात, जेहना विष्णु तात; प्रभुना अवदात, तीन भुवने विख्यात; सुरपति संघात, जास निकटे आयात; करी कर्मनो घात, पामीया मोक्ष शात. १ UKKURA KORA MEROORK MAR SKAR SED
SR No.009725
Book TitleAradhana Ganga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAjaysagar
PublisherSha Hukmichandji Medhaji Khimvesara Chennai
Publication Year2011
Total Pages174
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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