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________________ श्री शीतलनाथ भगवान चैत्यवंदन नंदा दृढरथ नंदनो, शीतल शीतलनाथ; राजा भद्दिलपुर तणो, चलवे शिवपुर साथ. लाख पूरवनुं आउखु, नेवू धनुष प्रमाण; काया माया टालीने, लह्या पंचम नाण. 'श्रीवत्स लंछन सुंदरुं ए, पद पर्दो रहे जास; ते जिननी सेवा थकी, लहिये लील विलास. स्तवन शीतलजिन! मोहे प्यारा साहिबा! शीतलजिन! मोहे प्यारा. भुवन विरोचन पंकज लोचन, जिउ के जिउ हमारा...। ज्योति शुं ज्योत मिलत जब ध्यावे, होवत नहि तब न्यारा, बांधी मुठी खुले भव माया, मिटे महाभ्रम भारा. तुम न्यारे तब सबहि न्यारा, अंतर कुटुंब उदारा, तुमही नजीक नजीक है सबहि, ऋद्धि अनंत अपारा विषय लगन की अगन बुझावत, तुम गुण अनुभव धारा, भई मगनता तुम गुण रस की, कुण कंचन कुण दारा... शीतलता गुण होड करत तुम, चंदन कांही बिचारा? नाम ही तुमचा ताप हरत है, वाकुं घसत घसारा... करहु कष्ट जन बहुत हमारे, नाम तिहारो आधारा, जस कहे जनम-मरण भय भांगो, तुम नामे भवपारा... त अपारा३ स्तुति शीतल प्रभु शीतल करे, भजे शीतलभावे; शम शीतलता धारतां, सहुं संताप जावे; रागद्वेष निवारीने आप, शीतल थावो; आतमने शीतल करो, सत्य निश्चय लावो. १ KOROLOGANORAKOOOZ 8 SHAR (SAAR ASHON
SR No.009725
Book TitleAradhana Ganga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAjaysagar
PublisherSha Hukmichandji Medhaji Khimvesara Chennai
Publication Year2011
Total Pages174
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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