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________________ ३२ लोग-विरुद्ध-च्चाओ गुरु-जण-पूआ परत्थ- करणं च सुह-गुरु-जोगो तब्वयण-सेवणा आ-भवमखंडा २. ( योग मुद्रा में) ३. वारिज्जइ जइ वि नियाण-बंधणं वीयराय! तुह समये. तह वि मम हुज्ज सेवा, भवे भवे तुम्ह चलणाणं दुक्ख क्खओ कम्म-क्खओ, समाहि-मरणं च बोहि-लाभो अ. संपज्जउ मह एअं, तुह नाह! पणाम करणेणं ४. सर्व मंगल मांगल्यं, सर्व-कल्याण-कारणम्. प्रधानं सर्व-धर्माणां जैन जयति शासनम् (फिर खड़े होकर) अरिहंत चेइयाणं ५. अरिहंत चेइयाणं, करेमि काउस्सग्गं वंदण वत्तिआए, पूअण वत्तिआए, सक्कार. वत्तिआए, सम्माण - वत्तिआए, बोहि-लाभ वत्तिआए, निरुवसग्ग-वत्तिआए, सद्धाए, मेहाए, धिईए, धारणाए, अणुप्पेहाए वड्ढमाणीए ठामि काउस्सग्गं. " अन्नत्थ सूत्र अन्नत्थ-ऊससिएणं, नीससिएणं, खासिएणं, छीएणं, जंभाइएणं, उड्डुएणं, वायनिसग्गेणं, भमलीए, पित्त-मुच्छाए १. सुहुमेहिं अंग-संचालेहिं, सुहुमेहिं खेलसंचालेहिं सुमेहिं दिट्ठि संचालेहिं २ एवमाइएहिं आगारेहिं अ-भग्गो अविराहिओ, हुज्ज मे काउस्सग्गो ३. जाव अरिहंताणं भगवंताणं, नमुक्कारेणं न पारेमि ४ वाव कार्य ठाणेणं मोणेणं झाणेणं, अप्पाणं वोसिरामि ५. फिर एक नवकार का कायोत्सर्ग कर, पार कर 'नमोऽर्हत्सिद्धाचार्योपाध्यायसर्वसाधुभ्यः' कह कर थोय कहें। थोय 7 शंखेश्वर पासजी पूजिए, नरभवनो लाहो लीजिए; मनवांछित पूरण सुरतरु, जय वामासुत अलवेसरुं. जीवन में दृढ़ बनना, जड़ नहीं.
SR No.009725
Book TitleAradhana Ganga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAjaysagar
PublisherSha Hukmichandji Medhaji Khimvesara Chennai
Publication Year2011
Total Pages174
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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