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५. वनस्पतिकाय- सचित्त या अचित्त वनस्पति का प्रमाण | संख्या से या वजन से
धारना। ३० संख्या से या २० किलो से ज्यादा नहीं। ६. त्रसकाय- चलते फिरते जीव को मारने की बुद्धि से नहीं मारना। १. असिकर्म- तलवार, बन्दूक, चाकू, छूरी, कैंची सुई वगैरह का प्रमाण । ३० या...
से ज्यादा नहीं। २. मसिकर्म- स्याही, कलम, पेन्सील, होल्डर, पेन, चोक, बोल पेन की संख्या
धारना। २० या...... से ज्यादा नहीं ३. कृषिकर्म- खेती के साधन हल, पावड़ा, कोदाली गेंती आदि का प्रमाण धारना।
२० से या.... से ज्यादा नहीं।
सुबह शाम वापिस याद करना, अर्थात् जितना कम हुआ हो, उतना लाभ हुआ इस प्रकार चिन्तन करना।
इसके सिवाय सातवें व्रत में फूल गोभी, पत्ता गोभी, मूले के पत्ते का त्याग। दही व छाछ या इससे बनाये हुए परोठे आदि दो रात्रि के बाद नहीं खाना। आठ महीने पान भाजी त्याग, आर्द्रा नक्षत्र के बाद आम त्याग, फाल्गुन १५ के बाद खजूर-खारिक आदि त्याग व आषाढ १५ से सभी प्रकार का मेवा त्याग । उसी दिन तोड़ कर निकाली गई बादाम की गिरी खा सकते है।
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भोजन से सम्बन्धित पाँच अतिचार | १. सचित्त- कंद-मूल आदि का त्याग पहले किया हो उनको अनजानपने में भोगने ।
से यह अतिचार लगता है अथवा जिन वस्तुओं में त्रस जीवों का वध होता हो वे।। । २. सचित्त सम्बन्धित- जिसमें सचित्त वस्तु का सम्बन्ध जुड़ा हो, जैसे खजूर,
आम आदि फलों में गुठली आदि होने से वे सचित्त सम्बन्धित है। ३. अपक्व आहार- अग्नि संस्कार के बिना किया कच्चा आहार। ४. दुष्पक्व- जो वनस्पति आदि आधी पकी आधी कच्ची हो। ५. तुच्छ आहार- ऐसी वनस्पति या फल जिसमें खाने का भाग कम हों और .
फेंकने का भाग अधिक हो, जैसे सीताफल आदि। | भोजन सम्बन्धी ये पाँच अतिचार श्रावक के लिए वर्जनीय हैं। - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - --
जिसकी जीभ रफ, उसका जीवन टफ.
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