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४.तिविहार दिवस-चरिमं पच्चक्खाइ तिविहंपि आहारं- असणं, खाइम, साइमं अन्नत्थणाभोगेणं, सहसा-गारेणं, महत्तरा-गारेणं, सव्व-समाहि-वत्तिया-गारेणं वोसिरइ.
५. दुविहार दिवस-चरिमं पच्चक्खाइ दुविहंपि आहारं-असणं, खाइमं अन्नत्थणा-भोगेणं, सहसा-गारेणं, महत्तरा-गारेणं, सव-समाहि-वत्तिया-गारेणं वोसिरइ.
६. देसावगासिक देसावगासिक देसावगासि उवभोगं परिभोगं पच्चक्खाइ अन्नत्थणा-भोगेणं, सहसा-गारेणं, महत्तरा-गारेणं, सव-समाहि-वत्तिया-गारेणं वोसिरइ.
690690699 पच्चक्खाणेणं भंते! जीवे किं जणयइ? पच्चखाणेणं आसवदारं निरूंभई भगवन्! पच्चक्खाण से जीव को क्या प्राप्त होता है?
गौतम! पच्चक्खाण से जीव (दुःख के कारणरूप ऐसे कर्मों के आगमनरूप) आश्रव के द्वारों को अवरूद्ध कर देता है.
तवेण भंते! किं जणयइ? तवेणं वोदाणं जणयइ भगवन्! तप से जीव क्या प्राप्त करता है?
गौतम! तप से जीव (पूर्व के उपार्जित कर्मों का नाश कर के) व्यवदान (आत्मविशुद्धि केवली अवस्था) को प्राप्त करता है.
वोदाणेणं भंते! किं जणयइ?
वोदाणेणं अकिरियं जणयइ. अकिरियाए भवित्ता तओ पच्छा सिज्झइ, बुज्झइ, मुच्चइ, परिनिव्वाएइ, सव्वदुक्खाणमंतं करेइ.
भगवन्! व्यवदान से जीव क्या प्राप्त करता है?
गौतम! व्यवदान से जीव (मन-वचन-काया के योगों की) अक्रियता को प्राप्त करता है. अक्रियता वाला हो जाने के बाद वह सिद्ध होता है, बुद्ध होता है, मुक्त होता है, परिनिर्वाण को प्राप्त होता है और सर्व दःखों का अंत कर देता है..
को फेक्टरी कभी बंद न कहो। मन की आईस फेक्टरी और जबान की मुगट फेक्टसी.X