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________________ श्री नाममाला जी अगमरूवा अभयसिरी, अषयरूवा अहिमनदे, हरषरूवा हांसो, पदमरूवा पदमा तूमैन । सिवसिरी तस्य उत्पन्न पांच - अल्पकुंवार २१, वयनकुंवार २३, पियकुंवार १४, जानकुंवार जापुर १४, रैनकुंवार प्रदेस ८१ । सुवनी दो- ऊर्धसिरी, साहसिरी- अन्मोय जिन श्रेणि कलन मुक्ति गामिनो। ___ सुवनश्री तस्य उत्पन्न चार - ऊर्ध कुंवार परम सिरी, कलन कुंवार लाला २७, कलनकुंवार कान्हों १७, अल्पकुंवार अमरसिरी १९। सुवनीसकलश्री-अन्मोय जिन श्रेणि कलन मुक्ति गामिनो। साहश्री तस्य उत्पन्न पांच - सुवनरंज सुरजू ६४, अषयकुंवार अहिमन २२, सिवकुंवार ठाकुरश्री १२, भुवनकुंवार भीषमु ९, रमनकुंवार प्रदेस ४१ - अन्मोय जिन श्रेणि कलन मुक्ति गामिनो। रावश्री तस्य उत्पन्न पांच - उक्तरंज उवदद ३५, अभैरंज भेऊश्री ३६, हरिषकुंवार हरिगनु ७४, पवनकुंवार २५, साहकुंवार प्रदेस ५४ । सुवनी दोनिरयसिरी, लीनसिरी - अन्मोय जिन श्रेणि कलन मुक्ति गामिनो। रमनरूवा तस्य उत्पन्न चार - षिमनकंवार, निलैरंजनाथ,विपककुंवार, लीनरंज प्रदेस- अन्मोय जिन श्रेणि कलन मुक्ति गामिनो। हरषरूवा हला, रंजरूवा रतो, ममलरूवा महाश्री, कलन रूवा कूवरी, विपकरूवा घेउसिरी। निलयसिरी तस्य उत्पन्न - सुवनकुंवारु, जैरमनु जागा, हियकुंवारु हरपति, विनयकुंवार वैनसिरी, अगम कुंवारु प्रदेस। सुवनी तीन - उवनसुवा, रमनसुवा, साहसुवा- अन्मोय जिन श्रेणि कलन मुक्ति गामिनो। पियसुवा तस्य उत्पन्न छह - रयनकुंवार राइचंद, एनकुंवार अजितु, भुवनकुंवारु भीषमु, मैनरंज सहनश्री, सिऊकुंवार श्री चन्द, ममलकुंवार श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी प्रदेस । सुवनी तीन-अल्परूवा अमरसिरी, कल्पसुवा कुंवरदे, दिप्तिरूवा प्रदेस- अन्मोय जिन श्रेणि कलन मुक्ति गामिनो। अगमरूवा तस्य उत्पन्न चार - षिपकरंज घेऊपति, उक्त कुंवार उदयसिरी, हरषकुंवार, रंजकुंवार प्रदेस । सुवनी-रंजरूवा - अन्मोय जिन श्रेणि कलन मुक्ति गामिनो । धुव उवनरूवा तस्य उत्पन्न रैनरंज राम, अल्परंज अजितु, विपकरंज छितरू, सुरमनरंज सुरजु, नीलकुंवार मिलने। सुवनी दो - दिप्ति रूवा, स्वर्क रूवा- अन्मोय जिन श्रेणि कलन मुक्ति गामिनो। हिययाररूवा हांसो, धनरूवा धनसिरी, दिप्तिरूवा देवसिरी, लीनरूवा लषनसिरी । रमनरूवा तस्य उत्पन्न चार - सुवरंज रतनसिरी, सिवकुंवार उदयसिरी, चेयकुंवार वैदनु, धुवरंज कान्हर, सुवनी - सुवनरूवा - अन्मोय जिन मेणि कलन मुक्ति गामिनो। धुवरूवा तस्य उत्पन्न तीन - मेघरंज मदनसिरी ४४, सीलरंजसिरी ३२, ममलरंज मिलने ३९ । सुवनी दो - सयनश्री, रमनरूवा- अन्मोय जिन श्रेणि कलन मुक्ति गामिनो। अलषरूवा तस्य उत्पन्न चार - सहजरंज सहस, हियरंज हरपति, विपक रंज उपति, दिप्तिकुंवार देउपति । सुवनी - निलय रूवा- अन्मोय जिन श्रेणि कलन मुक्ति गामिनो। नाम श्री- विस्व रूवा वामा, चेयरूवा चांदा, मैनरूवा मानिकदे, लवनरूवा लाड़ली, रंजरूवा राइश्री, उक्तरूवा उदयसिरी, पामाखेड़ी की श्री पियरूवा पदमसिरी, अभयरूवा अभयसिरी, परमरूवा युता, अल्परूवा अहिमनदे, मैनरूवा मानिकदे, मिलनरूवा मना, दानसिरी, धीर्जरूवा (४६३)
SR No.009713
Book TitleAdhyatma Vani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
PublisherTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
Publication Year
Total Pages469
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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