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________________ श्री नाममाला जी नाम - अल्पसिरी तस्य उत्पन्न -आक्रिनरंज निलयरंज, साहकुंवार सहजोपनीत प्रदेस । विद्धि त्रिकाल अन्मोय प्रिये सहज कुंवारु, विगससिरी सतसई तस्य उत्पन्न पांच - मैनरंज बसावनु ६४, विगसकुंवार कुंवरू ८४, लीनरंज ९६, सीलरंज विलात ११३, परसरंज प्रदेस ३०७ । सुवनी - साहसिरी, सीलसिरी सिलवानी । वैनरंज वैदनु,उवनरंज धनपति छिऊली, कनकसिरी सतसई तस्य उत्पन्न दो-बलिकुंवार बसाऊन, बसरंज बसाऊन -अन्मोय जिन श्रेणि कलन मुक्ति गामिनो। फुटकर नाम- अन्मोय रंज उदय, हियरंज महाराज, गमनरंज जैकुंवार, कनकरंज कुंवार, सुल्परंज कुंवार, कलभ्रत दिप्तिजिनु, धनकुंवार, नंदरंज नामदेउ, वयनरंज अर्जुन, विगसरंज विरम, रमनरंज पनपारू, गुप्तिकुंवार गोपी, मिलनरंज चांदनु, दिप्तिरंज देउगना, भाऊरंज भोगी पांडे, जयनसिरी सांगी, अभयसिरी, भावसिरी, लवनसिरी, लषुबालह, भक्तसिरी, भाउसिरी, कल्पसिरी, करमसिरी, लीनसिरी, लषनसिरी, भवनमैन की बेटी नीलसिरी, भुवन सिरोंज की, रयनसिरी रतना सिकारपुर की, ऐकुंवार असपति, हियरमनरूवा हीरा, पयपाल की महतारी पदमरूवा, विपन श्रेनि की बेटी हुलसरूवा, चांदसिरी, विनैरूवा, विजैसिरी, विलैसिरी, विमलसिरी, बोधसिरी पुरड़ सिंधैन, चेतश्रीचाँदा, मलयसिरीमतौ, तपसिरी कपूरा, अभय की इजा कपूराकुंवरि, रैतु की इजा पियरूवा पदमसिरी, अल्परूवा आमिनी रूपऊ की बहिनी सिकारपुर । मुक्तिसुवा तस्य उत्पन्न - वीरचंद वीरदास, धवलरंज धनपाल राजा, सुवनरंज समोषनु, कलनकुंवार प्रदेस, साहकुंवार इटाये के पांच। सुवनी दो-रंजसिरी, उत्पन्नसिरी-अन्मोय जिन श्रेणि कलन मुक्ति गामिनो। श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी रयनश्री तस्य उत्पन्न चार - नैनरंज, हरिषरंज हरिराज, हेमकुंवार हंसा, दर्सरंजु प्रदेस-अन्मोय जिन श्रेणि कलन मुक्ति गामिनो। पदमसिरी तस्य उत्पन्न चार-विक्तरंज, मेघरंज,चेयकुंवार चांदन,कनककुंवारु करम सिरी। सुवनी - देउसिरी- अन्मोय जिन श्रेणि कलन मुक्ति गामिनो। परमसिरी तस्य उत्पन्न - सेऊरंज छीतम, रैनरूवा रूपनी, साहरमन सारंगु, सेउरंज, रमनरूवा रतनसिरी, इस्टरूवा ईदा, लवनसिरी लषमा, कर्नरूवा करमसिरी, सहनरूवा रूवा, रंजरूवा रूपनी, अभयरूवा भेउसिरी, मैनरूवा छीता, नितरूवा नैनसिरी, षिपकरूवा खेमा, विनयरूवा विजैसिरी, वैनरूवा वीरुदे, पदमरूवा पुषा, लीनरूवा लाड़सिरी, लीनरूवा नान्हा, पियरूवा पुरा, ममलरूवा महासिरी अहमदपुर। रंजरूवा तस्य उत्पन्न तीन, चेयरूवा तस्य उत्पन्न तीन - विनयरंज वीरा, रैरंज जिना, सुवनरंज प्रदेस - अन्मोय जिन श्रेणि कलन मुक्ति गामिनो। इटाये की श्री भुवनसिरी भना, हियरमन रूवा हरषिनी, कर्नरूवा ठाकुर श्री, निलयरूवा नैना, रूव रूवा रूपनी, वैनरूवा वैदा, राजमति रैनरूवा, रंजरूवा रूपा, रमनरूवा रूपनी पंवारदे, सैनरूवा सिंगारदे, सिरिरूवा ठाकुरसिरी, कमलरूवा कौरा, सहनसुवा सर्वश्री, भुवनरूवा भाउसिरी, उक्तरूवा उदैसिरी, गमन रूवा गढ़ा, मिलनरूवा मैनसिरी, रंजरूवा रतनसिरी, पियरूवा रूपसिरी, पैनरूवा पैनसिरी, षिपकरूवा घेउसिरी, वदनरूवा कमलू वैदा, सिवरूपा सेठी, आसरूवा अभयसिरी, भाऊरूवा भानमति, रैनरूवा राजी, ध्यानरूवा जैमती, अषयरूवा षहनी, सुल्परूवा सुहगा, रंजरूवा राजमती, षेमरूवा पंवारदे, वरनरूवा करमा, अभय रूवा भीषा, लीनरूवा लषना, चरनरूवा चांदन, धनरूवा धनश्री, (४६१)
SR No.009713
Book TitleAdhyatma Vani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
PublisherTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
Publication Year
Total Pages469
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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