SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 454
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्री नाममाला जी उत्पन्न सात - सुवनरंज चांदनु माहरू १३७, कमलरंज धनपत पटवारी ३१२, सहजरंज चौधरी ३६, मैनरंज मानिक ३८३, करनरंज २८४, रमन रंज गूजर ३०७, लषन रंज इटाये ७। सुवनी तीन - निलय श्री नैना, न्यान श्री, सहज श्री गुजरात । महा उत्पन्न न्यान श्री अर्जिका पट तारन तरन दिप्ति श्री, तस्य उत्पन्न पांच - लषन रंज रतन सिरी ४७७, ममल रंज ३४७, चन्द्र रमन करम सिरी माहुर ५७६, मिलनरंज ८४, सोनेरे रमनरंज प्रदेस ७२। सुवनी तीनषिपन सिरी, जय उवनसिरी, जय लषनसिरी। महा उत्पन्न न्यानसिरी अर्जिका पट तारन तरन स्वयं दिप्तिसिरी, तस्य उत्पन्न सात - विपन श्रेन रामसिरी १९९७२, गमनरंज विमल १७१४, सुवन श्रेणि सिउपारू ७७४, रमनरंज पंचाइनु, उवन रंज सेउगनु ६८७, लषन श्रेन गुजरात, परम रंज इटाये । सुवनी तीन - महतसिरी, गमनसिरी, उवनसिरी लिंगछिमऊ मुक्ति गामिनो। महा उत्पन्न न्यानसिरी अर्जिका पट तारन तरन अभयसिरी, तस्य उत्पन्न पाँच - उवन श्रेन प्रदेस १३३, निसंक श्रेन प्रभु ११६, रमनरंज रमनचंद १८२, तर तार रंज छितरू ११५, अभय रमन अभैराज मुकजी ३३१ । सुवनी चार - भुवन श्री, ठाकुर श्री, रमन श्री, दर्स श्री। महा उत्पन्न न्यान श्री अर्जिका पट तारन तरन स्वर्क श्री, तस्य उत्पन्न सात - मैनकुंवार ३९७२, सलब्ध कुंवार लषन १५६, लीन रंज लाड़ १२७, नलिन रंज नान्हें १०७, असुरकुंवार प्रदेस २३३, सुवनकुंवार प्रदेस ३११, सुवनकुंवार ३४३। सुवनी तीन - अलष श्री, दिस्ट श्री, उवन श्री -अन्मोय जिन श्रेणि कलन मुक्ति गामिनो। श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी स्वर्क श्री की बहिनी चार - पुहुप श्री, प्रियश्री, भद्रश्री, भुवनश्री। पुहुपश्री के उत्पन्न पाँच - सुवनकुंवार सुमति १४८, दिप्तिरंज देवश्री २३७, मिलनरंज मानिक ३३९, सिवरंज लाल बिहारी पांडे ४३३, गुप्तिकुंवार प्रदेस ५१९ । सुवनी दो - दान श्री, रमनश्री - अन्मोय जिन श्रेणि कलन मुक्ति गामिनो। भुवन श्री के उत्पन्न पाँच- हर्षकुंवार हरु ३३, उक्तरंज उदऊ १०७, रयनरंज राम् ४१, झरूकुंवार उदउ को बेटा ३७, धुव कुंवार प्रदेस । सुवनी तीन - सहस सिरी, साह सिरी, गाह सिरी - अन्मोग जिन श्रेणि कलन मुक्ति गामिनो। प्रिय सिरी तस्य उत्पन्न पाँच - षिपक रंज षेमु, गुप्तिरंज गना, दर्सरंज दादू, रमनरंज रायचंद, निलयरंज प्रदेसी । सुवनी दो - सुहश्री, सीलश्री अन्मोय जिन श्रेणि कलन मुक्ति गामिनो। भद्रश्री तस्य उत्पन्न पाँच - कनकरंज करमश्री सेठी, स्वल्परंजश्री, मैनरंज माड़न, जयकुंवार रूपा, सहजरंज प्रदेसी । सुवनी दो - निलयश्री, पदमश्री- अन्मोय जिन श्रेणि कलन मुक्ति गामिनो। महा उत्पन्न न्यानश्री अर्जिका पट तारन तरन सर्वार्थ श्री, तस्य उत्पन्न सर्वार्थश्री की बहिनें तीन - लाड़श्री, लीनश्री, लवनश्री। लाड़श्री के उत्पन्न छह - अभयकुंवार प्रदेस, लीन श्री तस्य उत्पन्न पांच - रमनरंज १७१७, स्वल्प कुंवार सुमति ६४, साह कुंवार बसऊ४४, विमल रंज वीरदास ९७, दिप्ति कुंवार प्रदेस १११ । सुवनी तीन - रमनश्री, रुचिश्री, विगसश्री - अन्मोय जिन श्रेणि कलन मुक्ति गामिनो। (४५४)
SR No.009713
Book TitleAdhyatma Vani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
PublisherTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
Publication Year
Total Pages469
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy