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श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी
श्री छमस्थवाणी जी अनरघ थरा भरे आरते आये तीनि जे कोड हुँतकार है रे ॥ ३२ ॥ मेरी समै तीनि जो मोरी समय जीति, जै जै जै ॥ ३३ ॥ अरहंत किये, जोड़ी दोइ लागी (२) ॥ ३४ ॥ सीपें दोइ लै आये, अपछरा निवांछने करतहहिं ॥ ३५ ॥ अनंत आरते ले आये ॥ ३६ ॥ अनंत रयन पदार्थ जड़ित आरते महोछौ अनंत किये ॥ ३७ ।। जोग कलस, संजोग कलस, सुयं उत्पन्न जोग कलस, उत्पन्न जोग कलस, महा उत्पन्न उत्पन्न जोग कलस, चैत्र सुदी पाँचे (५) मंगलवार ॥ ३८ ॥
॥ इति सप्तमोऽधिकारः॥
अष्टम अधिकार अयं अयं अयं, जय जय जयं, अर्ह जयं तुहं सुयं सुयं, सोहं सोहं सोह, सोहं जयं, अहं तुहं तुहं अहं जयं अहं तुहं तुहं अहं ॥ १ ॥ काके हाथ उत्पन्न महोछौ ॥ २ ॥ काके एक छह हाथ पाती ॥ ३ ॥ एक आठ हाथ पाती ॥ ४ ॥ एक बारह हाथ पाती ॥ ५ ॥ एक चौबीस हाथ पाती ॥ ६ ॥ एक चौसठ हाथ पाती ॥ ७ ॥ जो मोरी पाती फाटी तो हम न जानहिं ॥ ८ ॥
दयाल प्रसाद, ये तो बापुरे भोरे भोरी मार्ग, ये तो कछु गुप्तार न जानी, अरु हमारी पाती फाटी, आवहु रे भाई, हम बैठि मतो कीजै, ये तो बापुरे भोरे भोरी मार्ग साथ आवहि जाई ॥ ९ ॥ पृथ्वी आठ (८) ॥ १० ॥ रयनत्रय चौबीस (२४) ॥ ११ ॥ पयोग बारह (१२) ॥ १२ ॥ धर्म मागधी चौसठ (६४) वा नौ सै बारह ॥ १३ ॥ बारह अठे छ्यानवे (९६) ॥ १४ ॥ रमन तिहि में की पाती वरस पाती दिन छह (६), रमन की पाती एक दिन चैत्र वदि दसै (१०) ॥ १५ ॥ गुरऊ जोग ध्यान दिन छह (६) ॥ १६ ॥ पौष वदी दिन दोई (२) ॥ १७ ॥ उत्पन्न मिलन दिन तीनि (३) ॥ १८ ॥ उत्पन्न रमन दिन तीनि (३) ॥ १९ ॥ उत्पन्न चतुस्टै दिन चारि (४) ॥ २० ॥ पूष्य वदी दिन दोई (२) ॥ २१ ॥ उत्पन्न सात दिन एक (१) ॥ २२ ।। हुंतकार दिन तीनि (३) ॥ २३ ॥ हितकार चौबीस (२४) ॥ २४ ॥ उत्पन्न सुभाव रमन मिलन अनंत अवगाह, अनंत अन्मोद धुव अस्थापन उत्पन्न प्रवेस त्रिलोकनाथ अनंत प्रवेसी ।। २५ ।। अचिंत चिंतामणि अबलबली हितकार ॥ २६ ॥