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श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी
श्री छमस्थवाणी जी उत्पन्न प्रवेस उवं उत्पन्न हुँतकार ॥ ३१ ॥ मागधी भाषा ॥ ३२ ॥ अंकुर उत्पन्न दरसाये तीन, अनंतानंत कोड प्रवेस प्रवेस्यो । ३३ ।। उत्पन्न विलस रमन ॥ ३४ ॥ उत्पन्न अर्क रोम रोम कोड उत्पन्न प्रवेस प्रवेस्यो ।॥ ३५ ॥ कोड सुयं कोड उत्पन्न ॥ ३६ ॥ हुंतकार उत्पन्न ॥ ३७ ॥ अंजुरी प्रसारी पदवी अनंत उत्पन्न अनंत कोड ॥ ३८ ॥ आनंद कोड हंसिक विहंसिउ अनंत प्रवेस प्रवेसिउ ।। ३९ ।। तालै दोइ तोड़ी अनंत विंद ॥ ४० ॥ अनंत सुन्न, अनंत सुन्न, अनंत विंद ॥ ४१ ।। आरते अठारह (१८), उत्पन्न जयवंत, सहाइ जयवंत, सहाइ जयवंत ॥ ४२ ॥ साह जयं जिन स्वामी तू इस्ट सुन्न अनंत उत्पन्न उत्पन्न उत्पन्न जयवंतहहिं ॥ ४३ ।। कौनइ जयवंतहं हिं ? ॥ ४४ ।। कौनइ अस्तिति उत्पन्न है ? ॥ ४५ ॥ अस्तिति उत्पन्न जैवंत जिन जैवंत जिन जै उत्पन्न अनंत प्रवेस ॥ ४६ ॥ तालै सात तोड़ी (७) ॥ ४७ ॥ अनंत अर्क अर्केउ अनंत कोडि उत्पन्न सोहं हंसो अनंत अर्क उत्पन्न ॥ ४८ ॥
गुपित सुन्न अनंत उत्पन्न ॥ ४९ ॥ अनंत आसन सिंहासन प्रचै उत्पन्न कमलावती अनंत कोड उत्पन्न ॥ ५० ॥ अचिंत चिंतामणि अंनत प्रवेस गुपित विंद अनंत सुन्न ॥ ५१ ॥ अचिंत चिंतामणि अनंत प्रवेस ॥ ५२ ॥ छत्र चंवर सिंहासन नो उत्पन्न निधि अनंत प्रवेस ॥ ५३ ।। लब्धि अलब्धि सुयं देव उत्पन्न ॥ ५४ ॥ देवाधिदेव उवलब्धि उत्पन्न दिव्य धुनि मागधी भाषा अरहंत पदवी ॥ ५५ ।। अनंत उत्पन्न सुयं लब्धि उत्पन्न अरहंत दियो, अरहंत देइ प्रचै प्रवेस अरहंत होइ ।। ५६ ॥ लेहु रे जयवंत होहु ।। ५७ ॥ कलन कमल जिन जिनहि मिले, गुप्त सुन्न उत्पन्न ॥ ५८ ॥ नाम प्रमान महोछो अनंत जयवंत ॥ ५९ ॥ जै जै जै जै जै जै जिन जै जिन जै जिन जै अरहंत किये हुंतकार ९ ।। ६० ॥ अरु दोइ अरु विमलसिरी आइ दिषाई दई, मिले भेंटे, देषिउ रे! अचिंत जु आये ॥ ६१ ॥ आसन सिंघासन कमलासन सिद्धासन चारि के चारि, पंच दिप्ति हैं अरु दोई है अरु सो है अनंत सुभाई ॥ ६२ ॥ अर्क अर्थ विंद उत्पन्न हुँतकार तीनि (३) ।। ६३ ।। हुंतकार सात (७) ॥ ६४ ॥