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________________ श्री ममल पाहुइ जी जिनवर उवन मिलाये स्वामी, सुइ सुन्न मुक्ति विलसाऊं । सो हिये उवन रमाये स्वामी, उव चरन सुन्न चरिराऊं ॥ जिनवर मुक्ति मिलाये स्वामी ॥ २ ॥ ॥ आचरी॥ पय पयं पर्य पय विंद रमन जिन, जिन अर्क सुन्न विलसाऊं। सुइ उवन कमल रमि विंद सुन्न जिन, सुई अर्क विंद सुन्न राऊं ॥ ३ ॥ ॥ जिन. ॥ जय जय जय जयवंतु विंद जिन, जय अर्ध विंद सुन्न पाऊं। जय अर्ध कमल उव कमल विंद जिन, सुइ सुन्न सिद्धि विलसाऊं ॥ ४ ॥ ॥ जिन. ॥ मय मयं मयं मय उवन ममल जिन, सुइ मध्य विंद सुन्न राऊं। सुइ मध्य कमल जिन रमन कमल रम, सुइ सुन्न सिद्धि विलसाऊं ॥ ५ ॥ ॥ जिन. ॥ उव उवन सुन्न उव उवन रमन जिन, उव उवन विंद सुन्न राऊं । श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी उव उवन कमल जिन उवन रमन रम, ___ सुइ उवन मुक्ति विलसाऊं ॥ ६ ॥ ॥ जिन. ॥ उव उवन सुन्न जिन अर्ध सुन्न जिन, जिन मध्य सुन्न विगसाऊं। जिन उवन सुन्न उव उवन सुन्न जिन, सुइ सुन्न मुक्ति विलसाऊं ॥ ७ ॥ ॥ जिन. ॥ उव उवन वीर जिन उव समय रमन जिन, उव श्रेनि कलन कलिराऊं। तर तार उवन उव कमल रमन जिन, सह समय सिद्धि विलसाऊं ॥ ८ ॥ ॥ जिन. ॥ (१५७) अर्क फूलबा गाथा ३१३५ से ३१३७ तक (विषय : तार स्वभाव, औकास, अर्क स्वभाव महिमा) अर्क छत्तीसई तार सुभाऊ, दुंदुहि सब्द जिननाथ सहाऊ । जिनग्रह गुडी उछरी मागधि भाषा जिनय जिन उत्त ॥ दिव्य धुनी जिननाह संजुत्तु, जिननाथ समय सुइ मुक्ति पौ ॥ १ ॥ उव उवन उवन उव उवन समानी, उव उवन साहि सिय अलष लषानी ।
SR No.009713
Book TitleAdhyatma Vani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
PublisherTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
Publication Year
Total Pages469
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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