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श्री ममल पाहुड जी
चरि चरन उवन जिन चरन चरै, तत्काल रमन रमि जोड़ । रमि रमन मुक्ति जिन स्वामी पावै ॥
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जिन दर्स उवन दरसावै, जिन अलब्धि लब्धि रलि होड़ । सुइ अलब्धि मुक्ति जिन स्वामी पावै ॥
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जिन इच्छ उवन जिन इच्छ रमै, जिन गुप्ति इच्छ धुव रे धुव इच्छ मुक्ति जिन स्वामी पावै ॥
पय परम तत्तु पद विंद रमै, पय ईर्ज पय ईर्ज मुक्ति जिन
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जिन गुप्ति रमन सिय सिद्धि रमै, निहि रिद्धि गुप्ति जिनु रे सुइ गुप्ति मुक्ति जिन स्वामी पावै ॥
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रमन जिनु रे । स्वामी पावै ॥
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ति अर्थ तिलोय रमन सुइ नेई, ति ईर्ज उवन तिथेई । इय रमन मुक्ति जिन स्वामी पावै ॥
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मध्य ममल रमन जिन रावै, ध्याय नंत नंत जिनु रे । मध्य रमन मुक्ति जिन स्वामी पावै ।। १२ ।। ॥ री
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श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी
उव उवन रमन रलि रमन रलेई तत्काल रमन जिनु रे । पय नंत मुक्ति जिन स्वामी पावै ॥
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रलि उवन उवन सुइ रमन रलेई, सुइ उवन उवन सुइ रे उव उवन नंत जिन स्वामी पावै ।।
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आ अप्प उवन जिन रमन रलै, गुरु गुपित रमन जिनु रे । ठा ठवन मुक्ति जिन स्वामी पावै ॥
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हा हलवं चिय चेयरमन जिन उवन रलै, ध्याय याय उवन जिनु रे ।
हा हल हुव हुव सुइ रमन रमै, री ईर्ज नंत नंत जिनु रे । ई ईर्ज मुक्ति जिन स्वामी पावै ।।
१३ ॥
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आ अगम अगम जिन अगम रलै, या यास आस जिनु रे ई ईर्ज मुक्ति जिन स्वामी पावै ।।
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हिय थान मुक्ति जिन स्वामी पावै ॥ १६ ॥ ॥ री ॥
१५ ॥ री ॥
१७ ।।
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१८ ।।
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जिन श्रेनि कलन जिन रमन रलै सुइ तार कमल जिनु रे तार कमल मुक्ति जिन स्वामी पावै
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