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________________ श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी जय षिपक षिपक उवन विपक, षिपक उवन सावै । जय ममल ममल उवन ममल, ममल मुक्ति पावै ॥ १४ ॥ ॥जय रंज.॥ जय अर्क अर्क श्रेनि अर्क, कलन अर्क रावै । जय अर्क अर्क तार तरन, अर्क मुक्ति पावै ॥ १५ ॥ ॥जय रंज.|| जय तार तरन तरन कमल, उवन कमल रावै । जय उवन कमल समय उवन, उवन मुक्ति पावै ॥ १६ ॥ ॥जय रंज.॥ श्री ममल पाहुइ जी जय अभय अभय अभय रंजु, अभय उवन रावै । जय सुर्क सुर्क उवन सुर्क, उवन मुक्ति पावै ॥ ७ ॥ ॥जय रंज.॥ जय अर्थ अर्थ उवन अर्थ, अर्थ उवन रावै । जय विंद विंद उवन विंद, सुन्न मुक्ति पावै ॥ ८ ॥ ॥जय रंज.॥ जय नंद नंद उवन नंद, नंद रमन लावै । आनंद नंद सहज नंद, नंद मुक्ति पावै ॥ ९ ॥ ॥जय रंज.॥ जय समय समय उवन समय, उवन उवन रावै । हिययार नंद ताग समय, उवन मुक्ति पावै ॥ १० ॥ ॥जय रंज.॥ जय अलष अलष अलष उवन, उवन उवन रावै । जय अगम अगम अगमनाथ, अगम मुक्ति पावै ॥ ११ ॥ ॥जय रंज.॥ जय साह साह अगम साह, उवन साह साहै । जय रमन रमन उवन रमन, उवन मुक्ति पावै ॥ १२ ॥ ॥जय रंज.॥ जय रंज रंज अगम रंज, उवन रंज रावै । जय उवन उवन उवन नंद, नंद मुक्ति पावै ॥ १३ ॥ ॥ जय रंज.॥ (९४६) साथु सिद्ध फूलबा गाथा ३००२ से ३००८ तक (विषय : पय बारह) जिन जिनयति हो जिन जिन वाली, जिन जिनियौ जिनय जिनाली । जिन जिनयति हो जिन जिन तार, जय जय हो तुम्ह मुक्ति वियाली ॥ १ ॥ साधउ धुव उव उवना, उव उवने हो जिन जिनय सु तार । साधउ धुव उव उवना, जिन धुव जिन हो जिन उवन स वीरू ॥ साधउ धुव ममल जिना ॥ २ ॥ ॥ आचरी॥ (४११)
SR No.009713
Book TitleAdhyatma Vani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
PublisherTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
Publication Year
Total Pages469
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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