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________________ जय जय जय जयसी श्री ममल पाहुइ जी आ आय आय उव आय अनंदे, या याय अलष गम अगम जिनंदे । रा रमन रयन जिन जिनय जिनुत्ते, आयरन रमन जिन सिद्धि संपत्ते ॥ ६ ॥ ॥ जय. ॥ आ आदि अनादि नंत जिन नंदे, ला लाय लाय लऊ उवन जिनंदे । पा परम परम परमिस्टि सनंदे, आलाप परम जिन जिनय जिनंदे ॥ ७ ॥ ॥ जय ॥ आराह रमन जिनु नंत अनंते, आयरन उवन जिन मुक्ति सरत्ते । आलाप लाप उवलोय जिनुत्ते, सुइ रमन उवन जिन सिद्धि संपत्ते ॥ ८ ॥ ॥ जय. ॥ सुइ सुयं सुयं सुइ श्रेनि जिनुत्ते, सुइ कलन रमन जिन श्रेनि स उत्ते । सुइ तार तरन उव कमल सरत्ते, सह समय रमन जिन सिद्धि संपत्ते ॥ ९ ॥ ॥ जय. ॥ श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी (१४३) उवन जिन पयोग फूलना गाथा २९५० से २९६३ तक (विषय : कमल चतुर्दशी) उव उवन उवन उवनी, उव उवन उवन पिय उत्तु । परम जिन उवन जिनी ॥ जय जयनी, जय जयो जयं पिउ उत्तु ।। अलष जिन जय उवनी ॥ १ ॥ जिन जिनय जिनी, जिन उवन उवन दरसायौ । परम जिन मुक्ति रमै ॥ २ ॥ ॥आचरी॥ जय अलष अलष रवनी, जय अलष अलष जैवंतु । जयं जिन जिन सुवनी ॥ सुइ अगम अगम गमनी, जय अगम अगम पिय नंतु । अगम जिन निल उवनी ॥ ३ ॥ ॥ जिन. ॥ जय उवन कमल उवनी, जय जय जयं जिन कमल ।। परम पय पय उवनी ॥ जय जय जयं धुवनी, धुव धुवं धुवं धुव उवन । उवन जिन धुव रखनी ॥ ४ ॥ ॥ जिन. ॥ जय चरन चरन चरनी, जय जय जय उव चरन । चरन जिन चर उवनी ॥ yolo
SR No.009713
Book TitleAdhyatma Vani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
PublisherTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
Publication Year
Total Pages469
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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