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________________ श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी श्री ममल पाहुइ जी धुव धुवं धुवं धुव उवन रली, धुव कमल उवन जिन मुक्ति मिली ॥ ५ ॥ ॥ जय. ॥ सुव सुयं सुयं सुव उवन सुर्य, सुव उवन परम जिन सिद्धि जयं ॥ ६ ॥ ॥ जय. ॥ पय उवन उवन जिन सिद्धि रयं, जिन उवन समय सुइ मुक्ति जयं ॥ ७ ॥ ॥ जय. ॥ गुरु गुपित गुपित उव गुपित रयं, उव उवन गुपित जिननाथ जयं ॥ १२ ॥ ॥ जय. ॥ गुरु गुपित समय सम रमन सुयं, उव गुपित समय जय जयो जयं ॥ १३ ॥ ॥ जय. ॥ सुइ गुपित गहिर उव गहिर सुयं, उव उवन गहिर सम समय जयं ॥ १४ ॥ ॥ जय. ॥ जय रिद्धि रिद्धि उव रिद्धि मयं, उव उवन कमल रिद्धि मुक्ति जयं ॥ १५ ॥ ॥ जय. ॥ विद्धि ब्रिद्धि उवन जिन ब्रिद्धि जयं, उव उवन ब्रिद्धि जिन सिद्धि रयं ॥ १६ ॥ ॥ जय. ॥ जय न्यान उवन उव उवन पयं, पय उवन परम जिन परम पयं ॥ १७ ॥ ॥ जय. ॥ पय पयं पयं पय उवन पयं, इय इस्ट ईर्ज जिन जयो जयं ॥ १८ ॥ ॥ जय. ॥ जय दिप्ति सु दिप्ति जिन दिप्ति जयं, उव दिप्ति समय सम मुक्ति जयं ॥ ८ ॥ ॥ जय, ॥ जय दिस्टि इस्टि जिन दिस्टि जयं, उव दिस्टि रमन जिनु दिप्ति सुयं ॥ ९ ॥ ॥ जय. ॥ उव दिप्ति जयं जिन रमन रली, जय दिस्टि समय सुइ मुक्ति मिली ॥ १० ॥ ॥ जय. ॥ सुइ इच्छ इच्छ जय इच्छ जिनं, उव इच्छ रमन जिन सिद्धि रमनं ॥ ११ ॥ ॥ जय. ॥ = = = = (४०४)
SR No.009713
Book TitleAdhyatma Vani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
PublisherTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
Publication Year
Total Pages469
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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