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श्री ममल पाहुड़ जी
(१२१) चिंता को फूलना
गाथा २५३६ से २५४८ तक (विषय पिपक सोलही, इंछ सोलही)
चिंता करो चिंतामनि जय रमना,
अप्प परम पय उवनु जिना ॥ १ ॥
जिनवर उवनु रमंतु रे, उव उवन रमंतु रे,
पय
जिन परम गति जिनवर मुक्ति रमा तू रे ॥
षिप करो चिंतामनि षिप रमना,
हित रमनि चिंतामनि उव रमना,
षिप अस्कंध रमन ध्रुव धुर रमना ।। ३ 11 ॥ जिनवर ।
२ || ॥ आचरी ॥
उव उवन भुक्त बिन विलय जिना ॥ ४ 11 ॥ जिनवर ॥
उवन चिंतामनि उव रमना,
उव चेय चिंतामनि जिनय जिना || ५ || ॥ जिनवर ॥
आयरन चिंतामनि रै रयन जिना,
आयरन उवन इच्छ गुपित जिना ।। ६ 11
॥ जिनवर ॥
३६६
इच्छ गुपित चिंतामनि रमन जिना,
पय ईर्ज चिंतामनि ईर्ज जिना | ७ ॥ ॥ जिनवर ॥
ति अर्थ चिंतामनि ईर्ज जिना,
हिय मध्य रमन अर्क विंद जिना ॥ ८ 11 ॥ जिनवर ॥
हिय हुव चिंतामनि आगंतु जिना,
रमि रमन उवन जिनु जिनय जिना ॥ ९ ॥ ॥ जिनवर ॥
उव उवन चिंतामन उवन जिना
श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी
उव उवन रमन जिनु सिद्धि रमना ॥ १० ॥ ॥ जिनवर ।।
अप्प उवन चिंतामनि गुपित जिना,
उव ऊर्ध गमन ठिदि मुक्ति जिना ॥ ११ ॥ ॥ जिनवर ।
सुइ लब्धि चिंतामनि चित रमना,
अन्मोय उवन स्वामी सिद्धि रमना ।। १२ ।। ॥ जिनवर ॥
तर तार चिंतामनि कमल जिना,
सिहु समय उवन जिनु सिद्धि रमना ॥ १३ ॥ ॥ जिनवर ॥