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श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी
श्री ममल पाहुइ जी
(१२०) उवन विंद सुभाव फूलना
गाथा २५१९से २५३५ तक
(विषय : उल्हसु, विगसु, विलसु, विवान ५) जय जयो जिनवर जय जयो,
जय जयो उवन उल्हास । जय जयो जिनवर विगस मौ,
जिन विगसिउ रे मुक्ति विलास ॥ १ ॥ विंदिया जिन उवन की,
उव उवनउ रे चरन चर चरना । विंदिया कलि देउ की,
कलि कलियौ रे कमल विलास ॥ विंदिया जिन उवन की ॥ २ ॥
॥ आचरी॥ उव उवन उल्हसिऊ दिप्ति सुइ,
सुइ सब्द कर्न उल्हास । सुव सुवनु उल्हसिऊ कमल मौ, धुव उल्हसिऊ रे कमल उल्हास ॥ ३ ॥
॥विंदिया। उव उवनु विगसिऊ सु दिप्ति रे,
उव सब्द सुवन विगास । सुव उवनु विगसिऊ कलन मौ, जिनु विगसिऊ रे कमल विगास ॥ ४ ॥
॥विंदिया।
उव उवनु विलसिऊ क्रिनि दिपि,
उव सब्द श्रवन विलास । हुव हुवन विलसिऊ चर कलन मौ, धुव कमल सुर मुक्ति विलास ॥ ५ ॥
॥विंदिया। दिपि दिप्ति उवनी होंस जिन दिपि,
जिन दिप्ति होस उल्हास । जिन दिप्ति दिस्टि सु उवन उल्हसिय, आस उल्हसिय है मुक्ति विलास ॥ ६ ॥
॥विंदिया। सुइ सब्द उवन सु कर्न विलसै,
धुव होंस सुवन उल्हास । सुइ रंज रमन सुनंद नंदितु, आस रंजिउ है मुक्ति विलास ॥ ७ ॥
॥विदिया॥ दिपि दिस्टि होंस सु सब्द कह,
सुइ होंस हुवन विलास । सुइ होस हुवन हियार उवन सु, आस हुवनी है मुक्ति विलास ॥ ८ ॥
॥विंदिया। दिपि दिस्टि सब्द सु हुवन उल्हसिऊ,
अवयास उवन उल्हास ।