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श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी
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श्री ममल पाहुइ जी हिय उवन रमन रलि अलष रली, हिय अलष कमल रलि मुक्ति चली ॥ २९ ॥
॥ हम. ॥ उव उवन अलष रलि अगम रली, उव अगम कमल रलि मुक्ति मिली ॥ ३० ॥
॥ हम. ॥ उव उवन अगम रलि सहयार रली, सहयार कमल जय मुक्ति मिली ॥ ३१ ॥
॥ हम. ॥ उव उवन साह रलि रमन रली,
कमल रमन रलि
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उव उवन षिपन रलि ममल रली, उव ममल कमल रलि सिद्धि मिली ॥ ३६ ॥
॥ हम. ॥ उव उवन अर्क उव पट्ट रली, उव पट्ट कमल पय परम मिली ॥ ३७ ॥
॥ हम. ॥ विन्यान वीय चौ उवन रली, सुइ अर्क कमल रलि सिद्धि मिली ॥ ३८ ॥
॥ हम. ॥ चौबीस अर्क रलि कलन रली, कलि कलन कमल अर्क सिद्धि मिली ॥ ३९ ॥
॥ हम. ॥
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उव उवन रमन रलि इय रंज रली,
सुइ रंज कमल रलि मुक्ति चली ॥ ३३ ॥
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उव सुयं रंज रलि उवन रली, सुइ उवन कमल रलि मुक्ति मिली ॥ ३४ ॥
॥ हम. ॥ सुइ उवन उवन रलि षिपन रली,
उव षिपन कमल रलि मुक्ति चली ॥ ३५ ॥
(११६) उपयोग सार फूलबा गाथा २४५९ से २४७६ तक
(विषय : उपयोग की महिमा) पय पयह पयं रमि पयह जै रैया,
पय उवन पयोग सिय मुक्ति रमैया ॥ १ ॥ उव उवन उवन सारू उवन जिनैया, जिन जिनय समय रमि मुक्ति मिलैया ॥ २ ॥
॥आचरी॥
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(३५८