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श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी
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श्री ममल पाहुइ जी जिन तुव पय हम सरनं,
दर्स जिन तुव पय हम सरनं ॥ ३१ ॥ इस्ट दान इस्टं उव दान उवं,
उव उवन दान इस्ट दान जिन तुव पय हम सरनं,
दान जिन तुव पय हम सरनं ॥ ३२ ॥ इस्ट लाभ इस्टं उव लाभ उवं,
उव उवन लाभ इस्ट लाभ जिनं । जिन तुव पय हम सरनं,
लाभ जिन तुव पय इस्ट भोग इस्टं उव भोग उवं,
उव उवन भोग इस्ट भोग जिनं । जिन तुव पय हम सरनं,
भोग जिन तुव पय हम सरनं ॥ ३४ ॥ इस्ट उवभोग इस्टं, उव उवभोग उवं,
उव उवन उवभोग उवभोग जिनं । जिन तुव पय हम सरनं,
उवभोग जिन तुव पय हम सरनं ॥ ३५ ॥ इस्ट वीर्ज इस्ट उव वीर्ज उवं,
उव उवन वीय इस्ट वीय जिनं । जिन तुव पय हम सरनं,
वीय जिन तुव पय हम सरनं ॥ ३६ ॥
इस्ट संमत्त इस्टं उव संमत्त उवं,
उव उवन संमत्त इस्ट संमत्त जिनं । जिन तुव पय हम सरनं,
संमत्त जिन तुव पय हम सरनं ॥ ३७ ॥ इस्ट चरन इस्टं उव उवन चरं,
उव उवन चरन इस्ट चरन जिनं । जिन तुव पय हम सरनं,
चरन जिन तुव पय हम सरनं ॥ ३८ ॥ इस्ट लब्धि इस्टं उवलब्धि उवं,
उव उवन लब्धि इस्ट लब्धि जिनं । जिन तुव पय हम सरनं,
लब्धि जिन तुव पय हम सरनं ॥ ३९ ॥ इस्ट अलब्धि इस्टं उव अलब्धि उवं,
उव उवन अलब्धि इस्ट अलब्धि जिनं । जिन तुव पय हम सरनं,
अलब्धि जिन तुव पय हम सरनं ॥ ४० ॥ श्रेनि कलन जयं तार कमल जयं,
तर तार कमल सम सिद्धि जयं । जिन तुव पय हम सरनं,
सिद्ध जिन तुव पय हम सरनं ॥ ४१ ॥
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(३५१)