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श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी
श्री ममल पाहुइ जी विन्यान विंद उव उवन विंद रै,
हिययार विंद उव हिय रमनं । सहयार विंद हिय उवन उवन पै,
विंद रमन सुइ उवन समं ॥ भवियन उवसम षिम रमन सु सिद्धि जयं ॥ ११ ॥
॥ उव उवन.॥ आगंतु रमन रै रमन परम जिनु,
हिययार रमन सुइ सहै रमं । सहयार रमन तं गुपित उवन पौ,
हिय उववन्न सु सुन्न समं ॥ भवियन उव उवन दिप्ति सुइ सब्द सुयं ॥ १२ ॥
॥उव उवन.॥ हिययार रमन रस अमिय रमन जिनु,
____ उव उवन दिप्ति उव उवन जयं । उववन्न दिप्ति सहयार रमन जिनु,
भय पिपिय रमन जिनु समय समं ॥ भवियन उवसम षिम रमन सु सिद्धि जयं ॥ १३ ॥
॥उव उवन.॥ हुवयार रमन हुव उवन सब्द जिनु,
हुव दिप्ति उवन हिययार रमं । हुव दिप्ति रमन हुव सब्द रमन जिनु,
हुव उवन पियं सुइ मुक्ति जयं ॥ भवियन अमिय रमन विष विलय जिनय जिनु सिद्धि जयं ॥ १४ ॥
॥ उव उवन.॥
अर्क विंद आगंतु रमन जिनु,
हिय हुवयार रस रमन जयं । उव उवन हिययार सहयार रमन जिनु,
सहयार रमन उव हिय रमनं ॥ भवियन उवसम षिम रमन सु सिद्धि जयं ॥ १५ ॥
॥उव उवन.॥ अहंत सर्वन्य दिप्ति सुइ उवनं,
__ दिस्टि दिप्ति रमन तं जिनय जिनु । तं तारन तरन सहाइ सहज जिनु,
अन्मोय समय सिहु सिद्धि जयं ॥ भवियन तं विंद रमन सम मुक्ति पयं ॥ १६ ॥
॥ उव उवन.॥
(१६) सिद्ध पचीसी फूलना गाथा १९४२ से १९६६ तक
(विषय : सिध्द के आठ गुण) जिन जिनयति जिनय जिनेंदु जिनय पौ जिनय मऊ,
जिन जिनियौ कम्मु अनंतु कमल रुइ परम पऊ । कमल कलिय जिन उत्तु न्यान रस रमन पऊ,
तं विंद रमन विन्यान रमन रस मुक्ति गऊ ॥ १ ॥ उव उवनउ है उवन स उत्तु उवन मै उवन रई,
उव उवनउ न्यान विन्यान परम रस परम पई ।
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