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श्री ममल पाहुइ जी गम्य अगम्य तं नंत गगन रुड़,
___ गंध रूव तं सुइ विलयं । सुयं स्कंध सुयं धुव रमनं,
दिप्ति दिस्टि सुइ सिद्धि जयं ॥ भवियन उवसम षिम रमन सु सिद्धि जयं ॥ ३२ ॥
॥उव उवन.॥ पदम प्रभ पद परम रमन जिनु,
पद परम विंद विन्यान समं । भय सल्य संक सक राग विलय सुइ, .
उत्पन्न परम पद मुक्ति जयं ॥ भवियन उवसम षिम रमन सु सिद्धि जयं ॥ ३३ ॥
॥उव उवन.॥ अवयासं तं नंत जिनय जिन उवनं,
ममल रमन तं सुइ रमनं । निसंक रूव तं अमिय रमन जिनु,
अवयास ममल सुइ सिद्धि जयं ॥ भवियन उवसम षिम रमन सु सिद्धि जयं ॥ ३४ ॥
|| उव उवन.॥ अंग दिगंत सु नंत ममल जिनु,
नंतानंत सु धुव ममलं । भय षिपनिक तं अमिय रमन जिनु,
तं विंद रमन सुइ सिद्धि जयं ॥ भवियन धम्म रमन सुइ सिद्धि जयं ॥ ३५ ॥
। उव उवन.॥
श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी देव दिस्टि उव उवन जु दाता,
अन्या सह संसय सहियं । परम न्यान तं परम रमन जिनु,
परम अनंत सु परम रयं ॥ भवियन उवसम षिम रमन सु सिद्धि जयं ॥ ३६ ॥
॥उव उवन.॥ धम्मं धरयति अर्थ रमन जिनु,
अर्थ तिअर्थ सु रमन सुयं । उव उवन हिययार सु सहय सहज जिनु,
धम्म ममल रै सिद्धि जयं ॥ भवियन तं विंद कमल रस सिद्धि सुयं, भय षिपिय भव्वु तं मुक्ति पयं ॥ ३७ ॥
॥ उव उवन.॥ अयसय जयवंतु सुर्य सुइ उवनं,
जय जय जय जय सुइ सिद्धि जयं । दिप्ति दिस्टि सब्द विवान समय मय,
अन्मोय तरन सुइ सिद्धि जयं ॥ भवियन सिह समय अन्मोय सु मुक्ति पयं ॥ ३८ ॥
|| उव उवन.॥