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श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी
श्री ममल पाहुइ जी विन्यान ममल रै सुइ न्यान परम पै,
पय दर्स नंत जिन समय समं । पय कमल कलिय सुइ पुलिन गगन पय,
ससि विंद भवन विन्यान रयं ॥ भवियन पय नंत नंत केवलि उवनं ॥ ११ ॥
॥रै रंज.॥ सम समय सरनु सम दिप्ति रमनु,
___सम दिस्टि सब्द रस रमन पर्य । सम उत्तु उवन पय सम समय सब्द रय,
जिनु समय सहाव जिनु रमन सुयं ॥ भवियन सम समय जिनय जिन उवन रयं ॥ १२ ॥
॥रैरंज.॥ अनंत नंत रै नंत ममल मै,
तं नंत नंत जिन दिप्ति रयं । तं नंत न्यान रै विन्यान वीर्य मै,
तं नंत सौष्य जिन रमन पयं ॥ भवियन तं नंत चतुस्टय मुक्ति रयं ॥ १३ ॥
॥रैरंज.॥ नंत रंग रमन पय तरल तरंग मय,
तं नंत नंत जिनु दर्स रयं । तं लोय लोय पय ममल रमन मय,
तं नंत अमिय रस रमन जिनं ॥ भवियन तं नंत समय जिनु जिनय जिनं ॥ १४ ॥
॥रैरंज.॥
पर परम परम पय सम समय रमन रय,
सम दर्स रमनु जिनु सम उवन पयं । परमिस्टि इस्टि रै उव उवन दिस्टि पै,
उव उवन समय जिनु मुक्ति जयं ॥ भवियन परमिस्टि समय तं परम पयं ॥ १५ ॥
॥रैरंज.॥ तं सुयं रमन सरु विन्यान विनय पुरु,
तं अवध रमन जिनु जिनय जिनं । अन्मोय न्यान रै भय षिपिय अमिय रै,
तं ममल रमन सुइ सिद्धि जयं ॥ भवियन जिनु अवध रमन सुइ सिद्धि जयं ॥ १६ ॥
॥रैरंज.॥ जिनु अंग रमन जय जिन उत्तु जिनय पय,
जिन विंद रमन उव उवन समं । भय षिपिय अमिय रय अन्मोय तरन जय,
तं ममल रमन जिनु सिद्धि जयं ॥ भवियन अन्मोय न्यान सम सिद्धि जयं ॥ १७ ॥
॥रैरंज.॥
(८१) चौदा पूर्व रासौ फूलना गाथा १७४९ से १७६७ तक
(विषय | चौदह पूर्व) जिन जिनयति जिनय जिनेन्दं, उव उवन अर्क अर्थ विंदं । जं विंद रमन रस नंदं, तं सिद्धि रमन सुइ परम जिनेन्दं ॥ १
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(२८८)