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________________ श्री ममल पाहुइ जी विंद विन्यान रस रमनु जिनय जिनु पाए हैं, तरन विवान जिनय जिन उत्तु तरन जिनु पाए हैं । अर्क विंद दर्संतु अलष जिनु पाए हैं ॥ ३६ ॥ सम समय सिद्धि सम्पत्तु रमन जिनु पाए हैं, भय सल्य संक विलयंतु ममल जिनु पाए हैं। अप्प परम दर्सतु सहज जिनु पाए हैं ॥ ३७ ॥ परम गुप्ति उत्पन्न केवली पाए हैं, अन्मोय न्यान सिद्धि रत्तु सुयं जिनु पाए हैं। तं विंद कमल सिद्धि रत्तु सिद्ध जिनु पाए हैं ॥ ३८ ॥ सुइ समय समय सिद्धि रत्तु समय जिनु पाए हैं, उववन्न नंत दर्सतु दर्स जिनु पाए हैं। परम भाउ उवलब्धु लब्धि जिनु पाए हैं ॥ ३९ ॥ परम दर्स दर्सतु दर्स जिनु पाए हैं, __जिननाथ रमन रै जुत्तु रमन जिनु पाए हैं। परम मुक्ति सिद्धि रत्तु नंद जिनु पाए हैं ॥ ४० ॥ दिपि दिस्टि सब्द पिउ उत्तु सहज जिनु पाए हैं, विंद कमल रस अर्क समय जिनु पाए हैं। ___ तारन तरन समथु तरन जिनु पाए हैं ॥ ४१ ॥ सिह समय सिद्धि सम्पत्तु सिद्ध जिनु पाए हैं, अन्मोय नंद आनंद समय जिनु पाए हैं। सिह समय सिद्धि सम्पत्तु तरन जिनु पाए हैं ॥ ४२ ॥ श्री तारण तरण अध्यात्मवाणीजी (७१) जिन अनिवारा फूलना गाथा १५३६ से १५४६ तक (विषय : ज्ञान-१, तत्त्व-२७) जिन जिनयति जिनय जिनेन्द जिनुत्तु, जिन जिनयति नंद नंद जिन श्रुतु । जिन चेयनंद चेयन जिन सारू, जिन परमनंद तं मुक्ति पियारू ॥ १ ॥ जिन जिनयति जिनय जिनय अनिवारा, जिन अन्मोय सु मुक्ति पियारा । तारन जिन दिप्ति दिस्टि विंद रमनं, कमल सब्द पिउ सिद्धि सु गमनं ॥ २ ॥ ॥आचरी॥ जिन सहजनन्द सहजोति जिनत, जिन मुक्ति सुभावे सिद्धि सम्पत्तु । जिन जिनयति नंद नंद सम उत्तु, अन्मोय न्यान जिन सिद्धि सम्पत्तु ॥ ३ ॥ ॥ जिन. ॥ जिनवरु जिनय जिन उत्तु सउत्तु, ___जिनु संसारह सरनि विरत्तु । जिन उवनु लषु लषियं जिन तत्तु, जिन समय संजुत्तु सिद्धि सम्पत्तु ॥ ४ ॥ ॥ जिन. ॥ २६८)
SR No.009713
Book TitleAdhyatma Vani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
PublisherTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
Publication Year
Total Pages469
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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