SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 189
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी श्री ममल पाहुइ जी दिपि दिपियौ नंतानंतं, लंकृत सुइ न्यान स उत्तं । सहकार नंत संजुत्तं, तं समय सिद्धि सम्पत्तं ॥ २३ ॥ ॥तं यहु.॥ जं तारन तरन स समयं, भय षिपिय अमिय रस ममलं । जं धर्म सहाव संजुत्तं, तं समय सिद्धि सम्पत्तं ॥ २४ ॥ ॥ तं यहु.॥ सुइ तारन तरन सहावं, हिययार सहाव सुभावं । जं न्यान अन्मोय सुभावं, तं समय सिद्धि सम्पत्तं ॥ २५ ॥ ॥ तं यहु.॥ (२९) बन्द मऊ फूलना गाथा ५७० से ५८३ तक (विषय : जिन स्वभाव की महिमा, नन्द ५) जिन जिनयति जिनय जिनेन्द पऊ, जिन सहजनंद ससहाउ । जिन परमनंद तं परम जिनु, जिन केवल ममल सहाउ ॥ १ ॥ जिन नंद मऊ आनंद मऊ, जिन जिनयति कम्म सहाऊ । जिन उत्त जिनं जिन कमल जिनं, जिननाथ रमन ससहाउ ॥ २ ॥ जिनु अमिय रमन तं मुक्ति पऊ ॥ आचरी॥ जिनु लष्य मऊ अलष्य मऊ, जिन सिद्ध सरूव सहाउ । जिन उत्त मउ वैदिप्ति मऊ, जिन न्यान विन्यान सुभाउ ॥ ३ ॥ || जिन. ॥ जिनु अषय रमनु जिनु सिद्धि गमनु, जिन भय षिपनिक ससहाउ । जिन न्यान मई विन्यान मई, जिन सिद्धि मुक्ति सुभाउ ॥ ४ ॥ ॥ जिन.॥ जिन षिपक मऊ जिन ममल पऊ, जिन रंज सिद्धि ससहाउ । जिन अमिय रसं वैदर्स सुयं, जिन कमल ममल सुभाउ ॥ ५ ॥ ॥ जिन. ॥ जिन राग गलं जिन दोस विलं, जिन दिप्ति दर्स संजुत्तु । जिन कम्म गलं आवर्न विलं, जिन रंज अमिय सम उत्तु ॥ ६ ॥ ॥ जिन. ॥ जिन गार गलं जिन मोह विलं, वैदर्स अमिय संजुत्तु ।
SR No.009713
Book TitleAdhyatma Vani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
PublisherTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
Publication Year
Total Pages469
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy