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[अध्यात्म अमृत
आध्यात्मिक भजन]
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* आध्यात्मिक भजन * (साधना, प्रेरणा एवं वैराग्य प्रद)
भजन- १ जय जय हे जिनवाणी माता॥ शरण तिहारी जो कोई आता । मुक्ति मार्ग को वह पा जाता.. जय..... तेरे पुत्र बड़े गुण ज्ञाता । कुन्द कुन्द तारण विख्याता.. जय..... स्याद्वाद सब भ्रम मिटाता । सब धर्मों का भेद बताता.. जय..... तारण मंडल तुव गुण गाता । चरणों में तुम्हरे शीश झुकाता..जय.....
भजन-३
करले रे श्रद्धान, अरे मन...|| १. कैसा सुन्दर अवसर पाया, जिनवाणी की शरणा आया ।
सत्गुरू तुझको मिले दयालु, तारण तरण महान..अरे... देखत जानत भूल रहा है, मिथ्या मद में फूल रहा है।
कोई न जावे साथ किसी के,जानत सकल जहान..अरे... ३. तू है चेतन सबसे न्यारा, शुद्ध बुद्ध अविनाशी प्यारा ।
'मोही' पर को छोड़ सुमर ले, तू है सिद्ध समान..अरे... ४. राग द्वेष और मोह छोड़ दे, अपना सब संबंध तोड़ दे।
वीतराग बन लगा समाधि, बन जा रे भगवान..अरे...
१.
भजन-२ प्रभु नाम सुमर मनुवा, यही तोहे पार लगायेगा। धन वैभव और महल खजाना, कुछ नहीं जाना रे । स्त्री पुत्र और कुटुम्ब कबीला, इनमें भुलाना रे ॥ हंस अकेला जाय, साथ कुछ भी नहीं जायेगा..यही... कहता जिनके लिए रात दिन, मेरा-मेरा रे । पाप कमावे काम न आवे, सब जग देखा रे ॥ काया पड़ी रहेगी, नहीं कोई हाथ लगायेगा ..यही... स्वास-स्वास में सुमरण करले, जल्दी जाना रे । वृथा समय मत खोवे वन्दे, फिर नहीं आना रे ॥ अपनी फिकर करो अब मोही, सब हो जायेगा..यही...
भजन-४ मत कर, मत कर रेतू सोच विचार,
लगा देबाजी जीवन की॥ १. कैसा अच्छा मौका मिला है, हो जा तू होशियार ।
थोड़ी हिम्मत कर ले भैया, हो जावे भवपार... २. कितने दिन तुझको जीना है, करले जरा विचार ।
दस बीस वर्ष ही तू जीवे, नहिं जीवे वर्ष हजार... इतने समय में धरम तू कर ले, होवे बेड़ा पार । कर्म की मार को सह सकता है, धर्म से डरत गंवार ... धर्म करे से स्वर्ग मिलेगा, मिले मोक्ष सुख द्वार । कर्म करे से नर्क मिलेगा, भुगते दु:ख अपार ... राग छोड़ दे मोह छोड़ दे, छोड़ दे सब घर द्वार । पाप छोड़कर मोही अब तो, महाव्रतों को धार ...