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जैनधर्म की कहानियाँ पाहुडदोहा-भव्यामृत शतक-आत्मसाधना सूत्र का संयुक्त प्रकाशन तथा विराग सरिता • इसप्रकार दस पुष्प प्रकाशित किये जा चुके हैं। अब यह ग्यारहवाँ पुष्प प्रकाशित हुए हमें अत्यंत प्रसन्नता का अनुभव हो रहा है।
जैन बाल साहित्य अधिक से अधिक संख्या से प्रकाशित हों, ऐसी भावी योजना में सुकुमाल चरित्र, श्रीपाल चरित्र, सुदर्शन चरित्र आदि प्रकाशित करने की योजना है।
प्रस्तुत भाग में 'श्री जम्बूस्वामी चरित्र' का प्रकाशन किया जा रहा है। इसकी रचना आधुनिक शैली में पूर्व रचित ग्रन्थों के आधार पर ही की गई है। साथ ही इसमें वैराम्यवर्धक प्रसंगों में अध्यात्म रस गर्भित सिद्धान्तों की भी चर्चा की गई है। उदाहरणार्थ - समवसरण, २८ मूलगुण, १२ तप एवं २२ परीषहों का विस्तारपूर्वक वर्णन किया गया है। सैद्धान्तिक वर्णन व अन्य प्रसंगों में भी पूर्वाचारों एवं रचनाकारों द्वारा रचित ग्रन्थों, गाथाओं, पद्यों तथा भजनों का इसमें समावेश किया गया है। यद्यपि उनका प्रासंगिक उल्लेख होना चाहिये था, परन्तु प्रवाह की दृष्टि से उनका वहाँ उल्लेख नहीं किया गया है, अत: प्रबुद्धवर्ग क्षमा करे। हम उन-उन आचार्यों, रचनाकारों एवं उनके रचित ग्रन्थों का अनन्त-अनन्त उपकार मानते हैं।
श्री जम्बूस्वामी चरित्र को प्रस्तुत स्वरूप में प्रगट करने में ब्र. विमलाबेन ने बहुत मेहनत और लगन के साथ काम किया है, हम उनके बहुत-बहुत आभारी हैं। भविष्य में भी हम उनकी सेवायें प्राप्त करेंगे - ऐसा प्रयास है।
संपादन एवं संशोधन की दृष्टि से पं. श्री राकेश जैन शास्त्री नागपुर एवं पं. श्री वीरसागर जैन शास्त्री खतौली का सराहनीय सहयोग रहा है, अत: हम उनके भी आभारी हैं।
साहित्य प्रकाशन फण्ड एवं ग्रन्थमाला परम संरक्षक एवं संरक्षक सदस्यों के रूप में जिन दातार महानुभावों का सहयोग मिला है, हम उन सबका भी हार्दिक आभार प्रगट करते हैं, तथा आशा करते हैं कि भविष्य में भी इसीप्रकार सहयोग प्रदान करते रहेंगे।
विनीत
मोतीलाल जैन
प्रेमचंद जैन साहित्य प्रकाशन प्रमुख
अध्यक्ष