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श्री चौबीस तीर्थंकर भगवन्तों का...
महापुराण
अपने चौबीस तीर्थकर भगवन्तों की महिमा, पूर्वभव, उनके द्वारा की गई अपूर्व आत्म-साधना और परमात्मा होकर उनके द्वारा दिया गया वीतरागी मोक्षमार्ग का उपदेश - इन सबका सुंदर एवं अभूतपूर्व वर्णन इस महापुराण में किया गया है। इसे पढ़ते हुए अत्याधिक आनन्द होता है, अपने भगवन्तों के प्रति परम बहुमान जागृत होता है और मोक्ष को साधने का उत्साह प्रगट होता है।
श्री तीर्थंकर भगवन्तों का यह महापुराण पढ़ते हुए आपकी आत्मा में एक नया ही वातावरण तैयार होगा... आपको ऐसा अनुभव होगा कि मानो "मैं एक वीतरागी नगरी के पंचपरमेष्ठी भगवन्तों के साथ ही रह रहा हूँ और उनके समान उत्कृष्ट जीवन जीने की कला सीख रहा हूँ।" आपकी ऐसी ही उर्मियों (भावनाओं) को प्रकट करने वाले अनेकानेक प्रसंग इस पुराण में बारम्बार आयेंगे... बस एक बार इसमें प्रवेश करने की देर है... फिर तो इस वीतरागी नगरी में आपको इतना मजा आयेगा कि उससे बाहर निकलना अच्छा नहीं लगेगा।
यदि आप इस महापुराण को पढ़ना चाहते हैं तो कृपया सम्पर्क करें। अखिल भारतीय जैन युवा फैडरेशन, शाखा .. ग्वैरागढ़
खैरागढ़ - ४९१८८१, जिला - राजनोंदर 17 (1 )
श्री कहान स्मृति प्रकाश म्रोनगढ़ - ३६४२५०, जिला - भा ना