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________________ २१८] [दीपालिकापर्वसंग्रहः ॥ दृढायुष् [ ] ३७, ६२, १८७ | नाग [करण] ६४, ११५, १८८ देव [भाविद्वाविंशतीर्थकर] ३८, ११४, | नागिल | [ श्रावक] ३४, ६०, १८७ नायल १११, १८६ देवकी [ ] ६२, ११४, १८७ नाभाक [नृप] १०५ देवशर्मा [ द्विज] ३९, ६३, ११५, नारद [ ] ३८, ६२, ११४, १४०, १८८ १८७ देवश्रुत [भाविषष्ठतीर्थकर] ३७, ६२, नालन्दा [पाटक] ५८, ९१ ११३, १८७ निर्मम [भाविपञ्चदशतीर्थकर] ३८, ६२, देवानन्दा [ ऋषभदत्तभार्या] ४८, ५०, ११४, १८७ ५१, १७२ निष्कषाय [भावित्रयोदशतीर्थकर] ३८, देवानन्दा [रात्रि] ६४, ११५, १८८ ६२, ११४, १८७ द्वारदम [ ] ३८ निष्पुलाक [ भाविचतुर्दशतीर्थकर] ३८, द्विपृष्ठ [भाविवासुदेव] ३९, ६३, ६२, ११४, १८७ ११५, १८८ | नीत्यब्धि [ सूरी] द्वीपायन [ ] ३८, ११४, १८७ नेमि [तीर्थकर] १०५ 1 [ध] [प] धर्म [ नृप] ६५, ११७, ११८, १४४ | पद्म [ भाविचक्री] ३८, ६३, ११४, धर्म [ भाविबलदेव] ३९, ६३, ११५, १८७ १८८ | पद्म [भाविबलदेव] ३९, ६३, ११५, [न] १८८ नकुल [पाण्डव] १०२, १८२ | पद्म [ राजपुत्र] ६५, ६६, ११८, नन्द [ ] ११९ नन्दन [भाविबलदेव] ३९, ६३, ११५, पद्मनाभ [ भाविप्रथमतीर्थकृत्] ३७, ६२, ११३, १८७ नन्दि [ भाविवासुदेव] पद्मोत्तर [ राजा] ६५, ६६, ११८, ११४, १८७ ११९, १४४, १९० नन्दिमित्र [ भाविवासुदेव] ३८, ६३, | | पश्चिमा [दिक्] १०४ ११४, १८७ | पाटलीपुर | [पत्तन] २३, ५९, १०५, नन्दिवर्द्धन [ पक्ष] ६४, ११५, १८८ | पाटलीपुत्र । १०६, १७५, १८३ नन्दिवर्धन [वीरभ्राता] ५, ५५, ६५, | पापका | [पुरी] ५८, ९०, १४० ८९, ११७ पापापुरी | नमुचि [ सचिव] ६५, ६६, ११७, पुण्डरीक [विमान] ४८ ११८, ११९, १२०, | पुण्यपाल [ नृप] ७, १८, ५८, ९१, १४४, १४५, १९०, १९१ ९४, १७२, १७५ १८८ D:\chandan/new/kalp-p/pm5\2nd proof
SR No.009693
Book TitleDipalika Kalpa Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandanbalashreeji
PublisherBhadrankar Prakashan
Publication Year2011
Total Pages304
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size2 MB
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