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________________ बीकानेर जैन लेख संग्रह चूरू श्री शान्तिनाथ जी का मन्दिर पाषाण प्रतिमाओं के लेख ( २४०१) मूलनायक जी संवत् १६८७ वैशाख शुक्ला ३... ... .. श्री विजयसेनसूरिपट्टालंकार जहांगीर तपाविरुद धारक भट्टारक विजयदेवसूरिभिः आचार्य श्री विजयसिंहसूरि .....सुपरकारितं ।। ( २४०२) सं० १९०५ वर्षे वैशाख मासे। शुक्ल पक्षे। चंद्रप्रभजिन बिंबं (बी) कानेर वास्तव्य कारापितं । प्रतिष्ठितं वृहत्खरतर गच्छे भ० श्री जिनसौभाग्यसूरिभिः । (२४०३ ) सं० १९८५ वर्षे वैशाख मासे पूर्णिमास्यां तिथौ श्री मुनिसुव्रतजिन बिंब कारापितं प्रतिष्ठित वृहत्खरतरगच्छेश जं० यु० प्र० भ० श्री जिनसौभाग्यसूरिभिः । ... ( २४०४) आलेमें चरणपादुका संवत् १८१५० मिते वैशाख शुक्ल ३ भृगुवासरे वृहत्स्यरतर गच्छे भ० ज० यु० भ० श्रीजिनकुशलसूरिपादुका चूरू श्रीसंघेन कारिता प्रतिष्ठितं च भ० ज० भ० श्रीजिनचन्द्रसूरिभिः। ( २४०५ ) आलेमें चरणों पर संवत् १९१० मिते माघ सुदि ५ गुरु दिने श्रीजिनदत्तसूरिजी पादुका का० उदयभक्ति गणिना। प्र० बृहत्खरतर गच्छ जं० यु० भ० श्रीजिनसौभाग्यसूरिभिः । (२४०६) शिलालेख अस्यदेवालयस्य जीर्णोद्धार कारापिता पं० प्र० श्रीमन्तो यतिवरा ऋद्धकरण नामधेया महोदया सन्ति ।। यह धार्मिक महान् कार्य आपके ही प्रयत्न से हुआ है यह जीर्णोद्धार सं० १९८१ से प्रारंभ होकर सं० १९८६ तक समाप्त हुआ है। "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009684
Book TitleBikaner Jain Lekh Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherNahta Brothers Calcutta
Publication Year
Total Pages658
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size22 MB
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