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________________ श्री शान्तिनाथ जी का मन्दिर ( नाहटों की गुवाड़ ) पाषाण प्रतिमादि के लेख ( १७६४ ) शिलापह पर १ ॥ श्री एं नमः ॥ संवत् १८६७ वर्षे शाके १७६२ प्रवर्त्तमाने मा२. सोत्तम मासे वैशाख मासे शुक्लपक्षे षष्ठ्यां तिथौ ६ गुरुवारे बृहत् ३ स्वरतराचार्य गच्छीय समस्त श्रीसंषेन श्री शांतिनाथस्य प्रासाद ४ कारितम् । प्रतिष्ठितं च भट्टारक जंगम युगप्रधान भ५ ट्टारक शिरोमणि श्री श्री १००८ श्री जिनोदयसूरिभिः ६ महाराजाधिराज राजराजेश्वर नरेन्द्र शिरोमणि महाराज ७ श्री श्री रतनसिंह जी विजयराज्ये इति प्रशस्ति ॥ छ ॥ ८ ज्यां लग मेरु अडिग है जहां लग सूरज चंद। वहां ६ लग रहज्यो अचल यह जिनमंदिर सुखकंद ॥ १ ॥ श्रीः १० ॥ श्री संघयुताः सांकारक पूजकानां श्रेयोस्तु सततं श्रीः गर्भगृह के लेख ( १७६५ ) मूलनायक श्री शांतिनाथ जी १ संवत् १८६७ रा वर्षे शाके १७६२ प्रवर्त्तमाने मासोत्तममासे वैशाख मासे । शुक्लपक्षे तिथौ षष्ठ्यां गुरुवारे बिक्रमपु २ र बास्तव्य ओस बंशे गोलछा गोत्रीय साहजी श्री मुलतानबंद जी तद्भार्या तीजां तत्पुत्र माणकचंद तलघु भ्राता मिलाप ३ चंद तयो भार्या अनुक्रमात् मघ मोत इति तयोः पुत्रौः पुत्रौ च थानसिंह मोतीलालेति नामको एभिः श्री शांतिनाथ जिन ― "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009684
Book TitleBikaner Jain Lekh Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherNahta Brothers Calcutta
Publication Year
Total Pages658
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size22 MB
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