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________________ बीकानेर जैन लेख संग्रह ....................६ चरण-पादुकाओं के लेख ( ५१ ) ....... "स्वरतर गच्छे भट्टारक श्री जिनधर्मसूरि राज्ये साध्वी भावसिद्धि पादुके। शिष्यणी जयसिद्धि कारापितं । श्रेयसे ।। ( ५२ ) संवत् १७४० वर्षे माघ मासे शुक्ल पक्षे ५ तिथौ भृगुवासरे पूर्वभाद्रपद नक्षत्रे पंचांग ...त् शिष्यणी साध्वी चन्दनमाला पादुके कारिते सा० सौभाग्यमाला शुद्धौ..... ....... " ॥ एं०॥ १६४० वर्षे भाद्रवा १३ दिने । श्री खरतर गच्छे वा० श्रीदे पादुका श्री विक्रमनगरे। दो गोल पादुकाओं पर संवत् १७३० वर्षे माह यदि ५ शुक्रवार शुभयोगे श्री खरतर गच्छे भट्टारक श्रीजिनधर्मसूरि राज्ये साध्वी विनयमाला शिष्यणी सव छा ।। १३॥ लनी पुष्पमाला प्रेममाला पादुके कारापिते । ॥ पुष्पमाला पादुके १ ॥ ॥ साध्वी प्रेममाला पादुके २ ॥ पोले पाषाण के चरणों पर संवत् १७४६ वर्षे युगप्रधान श्री जिनचन्द्रसूरि संताने श्री समयसुंदरोपाध्याय शिष्य वा० महिमासमुद्र तत्शिष्य पंडित विद्याविजय गणि तत् शिष्य वाचनाचारिज श्री विनयविशाल गणि पादुके ॥ शुभं भवतुः ॥ भूमिगृहस्थ धातु-मूर्तियोंके लेख ( ५६ ) लाटहृद गच्छे पूर्णभद्रण सं० १२२ ( १ १०२२ ) ६॥ गच्छे श्री नृवितके तते संसाने पारस्वदत्तसूरीणांसिभ पुश्या सरस्वत्याचतुर्विशति पटकं मुक्त्यथ चकारे॥ "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009684
Book TitleBikaner Jain Lekh Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherNahta Brothers Calcutta
Publication Year
Total Pages658
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size22 MB
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