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________________ देव सुन्दर सूरि (पूर्णिमा) २१७ ५१,१९२ देवसूरि देवाचार्य ( ३४ ) ३२० २४९ १८४ धनरत्नसूरि (बृहत्तपा ) ३६४ बनेश्वरसूरि देवेन्द्रसूरि धनतिलक सूरि ३३० घरसंघसूरि (नागेन्द्र) २७ धर्मघोषसूरि (कृष्णर्षि) ३०८ ( अ धर्मदेवसूरि (पिप्पल) १०५ धर्मप्रभसूरि (पिपल ) ५८, ६०, ८९, १५२ धर्मशेखरसूरि (पिष्पल) ४३, ४६,५०,६०,७८, ८६ १३२,१४३,१५६, ३१६ धर्मसुन्दरसूरि (पिपल ) ८९ धर्मसूरि ( पिष्पल ) १४३ धर्मसागरसूरि (पिपल ) ५, १२,५९,८९,१००, नरप्रभसूरि नित्य विजय ३५९ १५, २१ ३४८ पज्जूनसूरि (ब्रह्माण) १४, ४४ ६९, ९१,१६०, २४३ पद्मचन्द्रसूरि (नागेन्द्र) ५७ पद्मशेखरसूरि (धर्मघोष) ९८ पद्मानन्दसूरि ६८, ९६, १२३, १३१, १९७, २१८, २६९, ३२९ परमानन्दसूरि (बृहद् ) ३३१ पार्श्वचन्द्रसूरि १५९, १७०, २१९ पुण्य तिलकसूरि १८१ पुण्यप्रभसूरि (कृष्णर्षि) २८८ २९१, ३२७, पुण्यरत्नसूरि (पूर्णिमा) ११, २९, ७१, ७९ २४,२०० प्रद्युम्न सूरि प्रसन्नसूरि ३४५ प्रीतिसूरि ( पिष्पल ) १०५, ३२४ बुद्धिसागरसूरि (ब्रह्माण ) १२९, ३२२, ३७२ भद्रेश्वरसूरि (ब्रह्माण) ३२७ "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009682
Book TitleJain Pratima Lekh Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYatindrasuri, Daulatsinh Lodha
PublisherYatindra Sahitya Sadan Dhamaniya Mewad
Publication Year1951
Total Pages338
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size5 MB
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