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________________ ( ३११) केरा के पुत्र रूपा तल्लाजीने श्री(चन्द्रप्रभस्वामी का) बिम्ब करवाया जिसकी प्रतिष्ठाञ्जनशलाका तपागच्छीय आहोरनगर के संघने भट्टा० श्रीविजयराजेन्द्रसरि के द्वारा आहोर में करवाई। (३५१) दक्षिणभाग में स्थापित सं० १९५५ फाल्गुनकु. ५ गुरुवार के दिन आहोरनिवासी तपागच्छीयसंघने श्री( चन्द्रप्रभप्रभु का).बिम्ब करवाया। जसरूप जीतमलने श्रीराजेन्द्रसूरि के द्वारा आहोर में जिसकी प्रतिष्ठा (अंजनशलाका ) करवाई। (३५२) बायें भाग में स्थापित सं० १९५५ फाल्गुनकृ. ५ गुरुवार के दिन सांथ. निवासी वृद्धशाखीय ओसवाल शा० केशरीमल कस्तूरचंदने श्री( चन्द्रप्रमप्रभु का) विम्ब मरवाया, जिसकी प्रतिष्ठा आहोर नगर में मुता जसरूप जीतमलने भ० श्रीराजेन्द्रमूरि के करकमल से करवाई। (३५३) पद्मासन के नीचे के प्रस्तर पर श्रीराजेन्द्रसरि, श्रीधनचन्द्रसरि, श्रीभूपेन्द्रसुरि सत् "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009682
Book TitleJain Pratima Lekh Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYatindrasuri, Daulatsinh Lodha
PublisherYatindra Sahitya Sadan Dhamaniya Mewad
Publication Year1951
Total Pages338
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size5 MB
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