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________________ ( २८४ ) गच्छ में तपापक्षी श्रीपुण्यप्रभसूरि के पट्टधर गच्छनायक श्रीजयसिंहरि के उपदेश से छामुकीगोत्रीय चन्द्रपुरनिवासी पद्मसिंह का पुत्र चन्द्रसिंह पुत्र माणसिंह पुत्र पुण्यसिंह भार्या पुण्यश्री (और) शा० घणसिंह ( मार्या ) बामीबाई का पुत्र धनराज ओसवालज्ञातीयने जीरापल्ली तीर्थ में चतुष्किा पर शिखर बनवाया । ( २८९ ) देवकुलिका नं० १९ ××××××× कलवग्रनिवासी ओसवालज्ञातीय सोनी नाहरगोत्र के सं० खेतसिंह के पुत्र सं० क्षेमसिंह, सं० नहनसिंह के पुत्र सं० करणसिंह सं० पासवीर, भगिनी, भा० तिलकू आदिने जीरावलीतीर्थचैत्य में चतुष्किका शिखर करवाया । ( २९० ) देवकुलिका नं० २० सं० १४८३ भाद्रपद कृ० ७ गुरुवार के दिन धर्मघोषगच्छ के श्रीमलयचन्द्रसूरि के पट्टधर श्रीविजय चन्द्रसूरि (के उपदेश से ) ओसवालज्ञातीय नाहरगोत्र के शा० आल्हा - का पुत्र शा० साल्हा भा० मणिबाई के पुत्र रत्नसिंह के पुत्र पासराजने जीरापल्ली तीर्थचैत्य में चतुष्किा शिखर करवाया । श्रीपार्श्वनाथ की कृपा से मंगल होते । "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009682
Book TitleJain Pratima Lekh Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYatindrasuri, Daulatsinh Lodha
PublisherYatindra Sahitya Sadan Dhamaniya Mewad
Publication Year1951
Total Pages338
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size5 MB
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