SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 281
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (२६८) आमली सेरी के सुपार्श्वचैत्य में धातुमूर्तियाँ (२५४) सं० १५०८ ज्येष्ठशु० ७ बुधवार के दिन श्रीश्रीमालज्ञातीय सांडलगोत्रीय शाह हापराज भा० चीराबाई के पुत्र शा० पोपट सुश्रावकने मा० माल्हणदेवी, दोहित्र लक्ष्मणदेच, सलक्षण के सहित पुत्र भला के श्रेयार्थ अंचलगच्छीय श्रीजयकेशरमरि के उपदेश से श्रीवासुपूज्यस्वामी का बिम्ब करवाया, और उसकी प्रतिष्ठा श्रीसंघने करवाई। (२५५) . सं०१४९९ वैशाखकृ० ४ गुरुवार के दिन उपकेशज्ञातीय कीकाने पिता भालराज, माता मोखलबाई के श्रेयार्थ श्री नमिनाथजी का बिम्ब करवाया, जिसकी प्रतिष्ठा भावडारगच्छीय भट्टा. वीरमरिने की। (२५६) सं० १५०८ ज्येष्ठशु० १० सोमवार के दिन प्राग्वाटज्ञातीय व्य० मोकलदेवने भा० उड़देवी, पुत्र हीराचन्द्र, च्य० सहजराज पुत्र ऊतल के सहित अपने श्रेयार्थ श्रीश्रेयांसनाथजी का विम्ब करवाया, जिसकी प्रतिष्ठा जीरापल्लीगच्छीय श्रीउदयचन्द्रसरिने की। "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009682
Book TitleJain Pratima Lekh Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYatindrasuri, Daulatsinh Lodha
PublisherYatindra Sahitya Sadan Dhamaniya Mewad
Publication Year1951
Total Pages338
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy